NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 2: Lhasa Ki Aur" is the second chapter of Class 9 Hindi Kshitij textbook, written by renowned author and travel writer Rahul Sankrityayan.
This travelogue is based on his real-life journeys to Tibet and highlights the cultural, geographical, and social aspects of Tibetan society during the early 20th century. The chapter presents two contrasting journeys, one accompanied by a monk named Sumati and the other undertaken alone, showing how social connections and changing times impacted the travel experience.
Through descriptive descriptions, the author brings to life the harsh terrain, fear of dacoits, unique Tibetan customs, and the importance of relationships in unfamiliar lands. The narrative blends adventure, hardship, and cultural learning, offering students a deeper understanding of travel literature and human behaviour.
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The chapter "Lhasa Ki Aur" is a travelogue by Rahul Sankrityayan that describes his adventurous journey to Tibet. It highlights the challenges he faced, the cultural atmosphere of Tibet, and the importance of relationships during travel.
These NCERT solutions for Class 9 Hindi Chapter 2 provide clear, well-structured answers to all textbook questions, helping students understand the chapter thoroughly and prepare effectively for exams. Each question is answered about the context, theme, and message conveyed by the author.
NCERT Solutions Class 9 Hindi क्षितिज Chapter 2 Question Answer, This section includes detailed question answers from Chapter 2 – Lhasa Ki Aur, based on the Class 9 Hindi Kshitij textbook.
These answers are prepared to help students learn the deeper meaning of the text, understand the author’s experiences, and analyse the cultural and geographical insights of Tibet.
Each response is aligned with CBSE guidelines to support exam preparation and understanding.
1. थोंगला के पहले के आख़िरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के वावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों ?
उत्तर:- इसका मुख्य कारण था – संबंधों का महत्व। तिब्बत में इस मार्ग पर यात्रियों के लिए एक-जैसी व्यवस्थाएँ नहीं थीं। इसलिए वहाँ जान-पहचान के आधार पर ठहरने का उचित स्थान मिल जाता था।
पहली बार लेखक के साथ बौद्ध भिक्षु सुमति थे। सुमति की वहाँ जान-पहचान थी। पर पाँच साल बाद बहुत कुछ बदल गया था। भद्र वेश में होने पर भी उन्हें उचित स्थान नहीं मिला था। उन्हें बस्ती के सबसे गरीब झोपड़ी में रुकना पड़ा। यह सब उस समय के लोगों की मनोवृत्ति में बदलाव के कारण ही हुआ होगा। वहाँ के लोग शाम होते हीं छंङ पीकर होश खो देते थे और सुमति भी साथ नहीं थे।
2. उस समय के तिब्बत में हथियार का क़ानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था ?
उत्तर:- उस समय तिब्बत के पहाड़ों की यात्रा सुरक्षित नहीं थी। लोगों को डाकुओं का भय बना रहता था। डाकू पहले लोगों को मार देते और फिर देखते की उनके पास पैसा है या नहीं। तथा तिब्बत में हथियार रखने से सम्बंधित कोई क़ानून नहीं था। इस कारण लोग खुलेआम पिस्तौल बन्दूक आदि रखते थे। साथ ही, वहाँ अनेक निर्जन स्थान भी थे, जहाँ पुलिस का प्रबंध नहीं था।लेखक
3. लंग्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गए थे ?
उत्तर:- लेखक लंग्कोर के मार्ग में अपने साथियों से दो कारणों से पिछड़ गए थे –
१. उनका घोड़ा बहुत सुस्त था। इस वजह से लेखक अपने साथियों से बिछड़ गया और अकेले में रास्ता भूल गया।
२. वे रास्ता भटककर एक-डेढ़ मील ग़लत रास्ते पर चले गए थे। उन्हें वहाँ से वापस आना पड़ा।
4. लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परन्तु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया ?
उत्तर:- लेखक ने शेकर विहार में सुमति को यजमानों के पासजाने से रोका था क्योंकि अगर वह जाता तो उसे बहुत वक्त लग जाता और इससे लेखक को एक सप्ताह तक उसकी प्रतीक्षा करनी पड़ती। परंतु दूसरी बार लेखक ने उसे रोकने का प्रयास इसलिए नहीं किया क्योंकि वे अकेले रहकर मंदिर में रखी हुई हस्तलिखित पोथियों का अध्ययन करना चाहते थे।
5. अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाईयों का सामना करा पड़ा ?
उत्तर:- लेखक को इस यात्रा के दौरान अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा :-
१. जगह-जगह रास्ता कठिन तो था ही साथ में परिवेश भी बिल्कुल नया था।
२. उनका घोड़ा बहुत सुस्त था। इस वजह से लेखक अपने साथियों से बिछड़ गया और अकेले में रास्ता भूल गया।
३. डाकू जैसे दिखने वाले लोगों से भीख माँगनी पड़ी
४. भिखारी के वेश में यात्रा करनी पड़ी
५. समय से न पहुँच पाने पर सुमति के गुस्से के सामना करना पड़ा।
६. तेज़ धूप में चलना पड़ा था।
७. वापस आते समय लेखक को रूकने के लिए उचित स्थान भी मिला था।
6. प्रस्तुत यात्रा-वृत्तान्त के आधार पर बताइए की उस समय का तिब्बती समाज कैसा था ?
उत्तर:- प्रस्तुत यात्रा-वृत्तान्त के आधार पर उस समय का तिब्बती समाज के बारे में पता चलता है कि –
१. तिब्बत के समाज में छुआछूत, जाति-पाँति आदि कुप्रथाएँ नहीं थी।
२. सारे प्रबंध की देखभाल कोई भिक्षु करता था। वह भिक्षु जागीर के लोगों में राजा के समान सम्मान पाता था।
३. उस समय तिब्बती की औरतें परदा नहीं करती थीं।
४. उस समय तिब्बती की जमीन जागीरदारों में बँटी थी जिसका ज्यादातर हिस्सा मठों के हाथ में होता था।
7. ‘मैं अब पुस्तकों के भीतर था ।’नीचे दिए गए विकल्पों में से कौन -सा इस वाक्य का अर्थ बतलाता है?y
क. लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
ख. लेखक पुस्तकों की शैल्फ़ के भीतर चला गया।
ग. लेखक के चारों ओर पुस्तकें हैं थीं।
घ. पुस्तक में लेखक का परिचय और चित्र छपा था।
उत्तर:- क. लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
• रचना
8. सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले। इस आधार पर आप सुमति के के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं?
उत्तर:- सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग हर गाँव में लेखक को मिले। इससे सुमति के व्यक्तित्व की अनेक विशेषताएँ प्रकट होती हैं : जैसे –
१. सुमति मिलनसार एवं हँसमुख व्यक्ति हैं।
२. सुमति के परिचय और सम्मान का दायरा बहुत बड़ा है।
३. सुमति उनके यहाँ धर्मगुरु के रूप में सम्मानित होता हैं।
४. सुमति सबको बोध गया का गंडा प्रदान करता है। लोग गंडे को पाकर धन्य अनुभव करते हैं।
५. सुमति स्वभाव से सरल, मिलनसार, स्नेही और मृदु रहा होगा। तभी लोग उसे उचित आदर देते होंगे।
६. सुमति बौद्ध धर्म में आस्था रखते थे तथा तिब्बत का अच्छा भौगोलिक ज्ञान रखते थे।
9. ‘हालाँकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी खयाल करना चाहिए था’। – उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार-व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होते हैं। आपकी समझ से यह उचित है अथवा अनुचित, विचार व्यक्त करें।
उत्तर:- सामान्यतया लोगों में एक धारणा बन गई है कि पहली बार मिलने वाले व्यक्ति का आंकलन उसकी वेशभूषा देखकर किया जाता है। हम अच्छा पहनावा देखकर किसी को अपनाते हैं तो गंदे कपड़े देखकर उसे दुत्कारते हैं। लेखक भिखमंगों के वेश में यात्रा कर रहा था। इसलिए उसे यह अपेक्षा नहीं थी कि शेकर विहार का भिक्षु उसे सम्मानपूर्वक अपनाएगा।
मेरे विचार से वेशभूषा देखकर व्यवहार करना पूरी तरह ठीक नहीं है। अनेक संत-महात्मा और भिक्षु साधारण वस्त्र पहनते हैं किंतु वे उच्च चरित्र के इनसान होते हैं, पूज्य होते हैं। हम पर पहला प्रभाव वेशभूषा के कारण ही पड़ता है। उसी के आधार पर हम भले-बुरे की पहचान करते हैं। परन्तु अच्छी वेशभूषा में कुतिस्त विचारों वाले लोग भी हो सकते हैं। गरीब व्यक्ति भी चरित्र में श्रेष्ठ हो सकता है, वेशभूषा सब कुछ नहीं है। कीचड़ में खिलने पर भी कमल अपनी सुंदरता बनाए रखता है।
10. यात्रा वृत्तांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का शब्द -चित्र प्रस्तुत करें। वहाँ की स्थिति आपके राज्य/शहर से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर:- तिब्बत भारत के उत्तर में स्थित है जो नेपाल का पड़ोसी देश है। इसकी सीमा भारत और चीन से लगती है। तिब्बत पहाड़ी प्रदेश है। यह समुद्र-तट से सोलह-सत्रह हजार फुट की ऊँचाई पर स्थित है। इसके रास्ते ऊँचे-नीचे और बीहड़ हैं। पहाड़ों के अंतिम सिरों और नदियों के मोड़ पर खतरनाक सुने प्रदेश बसे हुए हैं। यहाँ मिलोंमील तक कोई आबादी नहीं होती। एक ओर हिमालय की बर्फीली चोटियाँ दिखाई पड़ती हैं, दूसरी ओर ऊँचे-ऊँचे नंगे पहाड़ खड़े हैं।
तिङ्री एक विशाल मैदानी भाग है, जिसके चारों ओर पहाड़ ही पहाड़ हैं। यहाँ बीच में एक पहाड़ी है, जिस पर देवालय स्थित है। देवालय को पत्थरों के ढेर, जानवरों के सींगों और रंग-बिरंगे कपड़े की झंडियों से सजाया गया है।
11. आपने किसी भी स्थान की यात्रा अवश्य की होगी ? यात्रा के दौरान हुए अनुभवों को लिखकर प्रस्तुत करें।
उत्तर:- ग्रीष्मावकाश में इस बार मैंने अपने माता-पिता, बहन और दो मित्रों के साथ देहरादून घूमने जाने की योजना बनार्इ। सबको मेरा प्रस्ताव पसंद आया और हम सब 24 मर्इ को अपनी गाड़ी में बैठकर प्रात: 4 बजे देहरादून के लिए रवाना हुए। अभी गाड़ी 25-30 किमी 0 ही चली थी कि अचानक वह घरघराकर रूक गर्इ। गाड़ी खराब हो गर्इ थी। यहाँ आस-पास कोर्इ शहर या कस्बा नहीं था।
सड़क के दोनों ओर खेत थे। रास्ता सुनसान था। हम सब परेशान हो गए। पिताजी ने उतरकर देखा, पर उन्हें भी समझ नहीं आया कि गाड़ी क्यों नहीं चल रही थी। हमें वहीं खड़े-खड़े तीन घंटे बीत गए। उस सड़क पर आने-जाने वाली गाडि़यों को हमने हाथ देकर रोकने की कोशिश की, जिससे कुछ सहायता प्राप्त की जा सके,परंतु सभी लोग जल्दी में थे और कोर्इ भी हमारी बात सुनने के लिए नहीं रूकना चाहता था।
शाम होने जा रही थी। हम लोगों का भूख और गर्मी के कारण बुरा हाल था। मेरी छोटी बहन तो परेशान होकर रोने लगी, मां ने मुशिकल से उसे चुप कराया। जब कोर्इ हल नहीं सूझा तो मेरे पिता जी ने चाचा जी को फ़ोन किया और वे अपने साथ मैकेनिक को लेकर आए, तब कहीं जाकर गाड़ी ठीक हो सकी।
इस बीच मेरठ से खाना खरीदा गया और हम लोग रात में 12.30 बजे देहरादून पहुँच पाए। हमारा पूरा दिन बर्बाद हो गया था। अब जब कभी हम लोग गाड़ी में बैठकर बाहर जाते हैं या कहीं घूमने की योजना बनाते हैं, वह समस्याओं से भरा दिन बरबस याद आ जाता है।
12. यात्रा वृत्तांत गद्य साहित्य की एक विधा है । आपकी इस पाठ्यपुस्तक में कौन -कौन सी विधाएँ हैं ? प्रस्तुत विधा उनसे किन मायनों में अलग है ?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ्यपुस्तक में “महादेवी वर्मा” द्वारा रचित “मेरे बचपन के दिन” संस्मरण है। संस्मरण भी गद्य साहित्य की एक विधा है। इसमें लेखिका के बचपन की यादों का एक अंश प्रस्तुत किया गया है।
यात्रा वृत्तांत तथा संस्मरण दोनों ही गद्य साहित्य की विधाएँ हैं जोकि एक दूसरे से भिन्न है। यात्रा वृत्तांत किसी एक क्षेत्र की यात्रा के अपने अनुभवों पर आधारित है तथा संस्मरण जीवन के किसी व्यक्ति विशेष या किसी खास स्थान की स्मृति पर आधारित है। संस्मरण का क्षेत्र यात्रा वृत्तांत से अधिक व्यापक है।
• भाषा-अध्ययन
13. किसी बात को अनेक प्रकार से कहा जा सकता है ;
जैसे -सुबह होने से पहले हम गाँव में थे।
पौ फटने वाला था कि हम गाँव में थे।
तारों की छाँव रहते -रहते हम गाँव पहुँच गए।
नीचे दिए गए वाक्य को अलग-अलग तरीकों में लिखिए –
‘ जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे। ‘
उत्तर:- (1) जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे है या मैं आगे।
(2) समझ में नहीं आ रहा था कि घोड़ा मेरे आगे है या पीछे।
(3) समझ में नहीं आ रहा है कि घोड़ा कहा गया?
14. ऐसे शब्द जो किसी अंचल यानी क्षेत्र विशेष में प्रयुक्त होते हैं उन्हें आंचलिक शब्द कहा जाता है। प्रस्तुत पाठ में से आंचलिक शब्द ढूँढकर लिखिए।
पाठ में आए हुए आंचलिक शब्द –
उत्तर:- खोटी, राहदारी, कुची-कुची, भीटा, थुक्पा, गाँव-गिराँव, भरिया, गंडा, कन्जुर, चोङी्।
15. पाठ में कागज़, अक्षर, मैदान के आगे क्रमश : मोटे, अच्छे और विशाल शब्दों का प्रयोग हुआ है। इन शब्दों से उनकी विशेषता उभर कर आती है। पाठ में से कुछ ऐसे ही और शब्द छाँटिए जो किसी की विशेषता बता रहे हों।
उत्तर:- मुख्य, व्यापारिक, बहुत, भद्र, चीनी, अच्छी, गरीब, विकट, निर्जन, हजारों, अगला, कम, रंग-बिरंगे, मुश्किल, लाल, ठंडा, गर्मागर्म, विशाल, छोटी-सी, पतली-पतली, तेज,कड़ी, छोटे-बड़े, मोटे।
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