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NCERT Solutions for Class-10 Hindi chapter-13 Sarveshwar Dayal Saxena

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NCERT Solutions for Class-10 Hindi chapter-13 Sarveshwar Dayal Saxena

NCERT Solutions for Class-10 Hindi (Kshitij)

NCERT Solutions for class-10 Hindi chapter 13 Sarveshwar Dayal Saxena are prepared by the academic team of Physics Wallah. All questions of chapter 13 are explained as per the CBSE guideline and academic team of Physics Wallah. Read the theory of chapter 13 try to understand the meaning and then start writing the questions given in class-10 NCERT textbook for chapter 13. The NCERT Solutions by Physics Wallah provide a complete explanation of problems, you can download in PDF format.

Chapter 13 Sarveshwar Dayal Saxena

प्रश्न अभ्यास

1. फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी ?
उत्तर:- देवदार का वृक्ष आकार में लंबा-चौड़ा होता है तथा छायादार भी होता है। फ़ादर बुल्के का व्यक्तित्व भी कुछ ऐसा ही है। जिस प्रकार देवदार का वृक्ष वृहदाकार होने के कारण लोगों को छाया देकर शीतलता प्रदान करता है। ठीक उसी प्रकार फ़ादर बुल्के भी अपने शरण में आए लोगों को आश्रय देते थे। तथा दु:ख के समय में सांत्वना के वचनों द्वारा उनको शीतलता प्रदान करते थे।

2. फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है?
उत्तर:- फ़ादर बुल्के को भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग इसलिए कहा गया है क्योंकि वे बेल्जियम से भारत आकर यहाँ की संस्कृति में पूरी तरह रच-बस गए थे। वे सदा यह बात कहते थे कि अब भारत ही मेरा देश है। भारत के लोग ही उनके लिए सबसे अधिक आत्मीय थे। वे भारत की सांस्कृतिक परंपराओं को पूरी तरह आत्मसात कर चुके थे। फ़ादर हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए बहुत से प्रयास किये तथा हिंदी के समृद्धि के लिए ''ब्लू-बर्ड '' तथा ''बाइबिल'' का हिंदी रूपान्तरण भी किये। वे भारतीय संस्कृति के अनुरूप ही वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से ओतप्रोत थे।

3. पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है?
उत्तर:- फ़ादर बुल्के के हिन्दी प्रेम के कई प्रसंग इस पाठ में आये हैं, जैसे -
इलाहबाद में फादर बुल्के 'परिमल' नाम की साहित्यिक संस्था से जुड़े थे। वे वहाँ हिन्दी भाषा व साहित्य से सम्बंधित गोष्ठियों में सम्मिलित होते हुए गंभीर बहस करते थे।
वे लेखकों की रचनाओं पर अपनी स्पष्ट राय और सुझाव भी देते थें। वे सड़क पर जा रहे लेखकों के पास साइकिल से उतर कर पहुँच जाते और उनकी रचनाओं पर बात-चीत करते। फ़ादर बुल्के ने हिन्दी में शोध भी किया, जिसका विषय था - "रामकथा: उत्पत्ति और विकास।" उन्होंने एक नाटक "ब्लू - बर्ड" का हिन्दी में "नील - पंछी" के नाम से अनुवाद भी किया।
फ़ादर बुल्के राँची के सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज में हिन्दी तथा संस्कृति विभाग के विभागाध्यक्ष हो गए। वहीं उनहोंने अंग्रेज़ी - हिन्दी कोश तथा बाइबिल का अनुवाद भी तैयार किया। फ़ादर बुल्के को हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने की बड़ी चिंता थी। वे हर मंच पर इस चिंता को प्रकट करते तथा इसके लिए अकाट्य तर्क देते। वे हिन्दी वालों द्वारा ही हिन्दी की उपेक्षा पर दुखी हो जाते।

4. इस पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:- फ़ादर बुल्के एक निष्काम कर्मयोगी थे। वे लम्बे, गोरे, भूरी दाढ़ी व नीली आँखों वाले चुम्बकिय आकर्षण से युक्त संन्यासी थे। अपने हर प्रियजन के लिए उनके ह्रदय में ममता व अपनत्व की अमृतमयी भावना उमड़ती रहती थी। उनके व्यक्तित्व में मानवीय करुणा की दिव्य चमक थी। वे अपने प्रिय जनों को आशीषों से भर देते थे। वे भारत को ही अपना देश मानते हुए यहीं की संस्कृति में रच -बस गए थे। वे हिंदी के प्रकांड विद्वान थे एवं हिंदी के उत्थान के लिए सदैव तत्पर रहते थे। उन्होंने हिंदी में पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त करने के उपरान्त ''ब्लू-बर्ड ''ताठा ''बाइबिल ''का हिंदी अनुवाद भी किया। फ़ादर बुल्के अपने स्नेहीजनों के व्यक्तिगत सुख -दुख का सदा ध्यान रखते थे। वे रिश्ते बनाते थे ,तो तोड़ते नहीं थे। उनके सांत्वना भरे शब्दों से लोगों का हृदय प्रकाशित हो उठता था। अपने व्यक्तित्व की महानता के कारण ही वे सभी की श्रद्धा के पात्र थे।

5. लेखक ने फ़ादर बुल्के को 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' क्यों कहा है?
उत्तर:- लेखक ने फ़ादर बुल्के को 'मानवीय करूणा के दिव्य चमक' इसलिए कहा है क्योंकि फ़ादर के हृदय में मानव मात्र के प्रति करूणा की असीम भावना विद्दमान थी। उनके मन में अपने हर एक प्रियजन के लिए ममता और अपनत्व का भावना उमड़ता रहता था। वे लोगों को अपने आशीषों से भर देते थे। उनकी आँखों की चमक में असीम वात्सल्य तैरता रहता था। वे लोगों के सुख -दुख में शामिल होकर उनके प्रति सहानुभूति प्रकट करते थे तथा उन्हें सांत्वना भी देते थे। लोगों का कष्ट उनसे देखा नहीं देखा जाता था।

6. फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है, कैसे?
उत्तर:- प्राय: संन्यासी सांसारिक मोह - माया से दूर रहते हैं । जबकि फ़ादर ने ठीक उसके विपरीत छवि प्रस्तुत की है।परंपरागत संन्यासियों के परिपाटी का निर्वाहन न कर, वे सबके सुख - दुख मे शामिल होते। एक बार जिससे रिश्ता बना लेते ; उसे कभी नहीं तोड़ते । सबके प्रति अपनत्व,प्रेम और गहरा लगाव रखते थे । लोगों के घर आना - जाना नित्य प्रति काम था। इस आधार पर कहा जा सकता है कि फ़ादर बुल्क़े ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग छवि प्रस्तुत की है।

7. आशय स्पष्ट कीजिए -
(क) नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है।

उत्तर:- प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि फ़ादर बुल्के की मृत्यु पर वहाँ उपस्थित नम आँखों वाले व्यक्तियों के नामों का उल्लेख करना सिर्फ स्याही को बरबाद करना है। कहने का आशय है कि आँसू बहाने वालों की संख्या इतनी अधिक थी कि उसे गिनना संभव नहीं था।

(ख) फ़ादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है।
उत्तर:- प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि जिस प्रकार एक उदास शांत संगीत को सुनते समय हमारा मन गहरे दुःख में डूब जाता है, वातावरण में एक अवसाद भरी निस्तब्ध शांति छा जाती है और हमारी आँखें अपने-आप ही नम हो जाती हैं, ठीक वैसी ही दशा फ़ादर बुल्के को याद करते समय हो जाती है।


रचना और अभिव्यक्ति

8. आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा ?
उत्तर:- हमारे विचार से फ़ादर बुल्क़े ने भारत के प्राचीन एवं गौरवपूर्ण इतिहास तथा यहाँ की सभ्यता-संस्कृति, जीवन-दर्शन, सत्य, अहिंसा, प्रेम, धर्म, त्याग तथा ऋषि-मुनियों से प्रभावित होकर ही भारत आने का मन बनाया होगा।

9. 'बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि - रेम्सचैपल।' - इस पंक्ति में फ़ादर बुल्के की अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन-सी भावनाएँ अभिव्यक्त होती हैं? आप अपनी जन्मभूमिके बारे में क्या सोचते हैं?
उत्तर:- फ़ादर कामिल बुल्के की जन्मभूमि 'रेम्सचैपल' थी। फ़ादर बुल्के के इस कथन से यह स्पष्ट है कि उन्हें अपनी जन्मभूमि से बहुत प्रेम था तथा वे अपनी जन्मभूमि को बहुत याद करते थे।
मनुष्य कहीं भी रहे परन्तु अपनी जन्मभूमि की स्मृतियाँ हमेशा उसके साथ रहती है। हमारे लिए भी हमारी जन्मभूमि अनमोल है। हमें अपनी जन्मभूमि की सभी वस्तुओं से प्रेम है। यहीं हमारा पालन-पोषण हुआ। अत: हमें अपनी मातृभूमि पर गर्व है। हम चाहें जहाँ भी रहे परन्तु ऐसा कोई भी कार्य नहीं करेंगे जिससे हमारी जन्मभूमि को अपमानित होना पड़े।

10. निम्नलिखित वाक्यों में समुच्यबोध छाँटकर अलग लिखिए -
(क) तब भी जब वह इलाहाबाद में थे और तब भी जब वह दिल्ली आते थे।
(ख) माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था कि लड़का हाथ से गया।
(ग) वे रिश्ता बनाते थे तो तोड़ते नहीं थे।
(घ) उनके मुख से सांत्वना के जादू भरे दो शब्द सुनना एक ऐसी रोशनी से भर देता था जो किसी गहरी तपस्या से जनमती है।
(ङ) पिता और भाइयों के लिए बहुत लगाव मन में नहीं था लेकिन वो स्मृति में अकसर डूब जाते।

उत्तर:-
(क) और
(ख) कि
(ग) तो
(घ) जो
(ङ) लेकिन

CHAPTER WISE NCERT SOLUTIONS OF CLASS-10 HINDI ( KSHITIJ )

  1. Chapter 1 Surdas

  2. Chapter 2 Tulsidas

  3. Chapter 3 Dev

  4. Chapter 4 Jai Sankar Parsad

  5. Chapter 5 Suryakant Tripathi

  6. Chapter 6 Nagarjuna

  7. Chapter 7 Girija Kumar Mathur

  8. Chapter 8 Rituraj

  9. Chapter 9 Manglesh Dabral

  10. Chapter 10 Svayan Prakash

  11. Chapter 11 Rambriksh Benipuri

  12. Chapter 12 Yashpal

  13. Chapter 13 Sarveshwar Dayal Saxena

  14. Chapter 14 Manu Bhandari

  15. Chapter 15 Mahavir Prasad Dwivedi

  16. Chapter 16 Yatindra Mishra

  17. Chapter 17 Bhadant Anand Kausalyan

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1. Chapter wise online test for Physics class 10

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