NCERT Solutions Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9 Agnipath presents the inspiring Agnipath poem by Harivansh Rai Bachchan. It urges students to face life's challenges with unwavering determination. The Agnipath Class 9 Summary highlights continuous effort and perseverance. It encourages moving forward despite difficulties.
These NCERT solutions for class 9 Hindi Sparsh chapter 9 provide clear answers and explanations. They help students understand, practice, and learn the concepts covered in the Agnipath poem. NCERT Solutions of Class 9 aims to clarify the poem's deep meaning and message.
Agnipath, written by the celebrated poet Harivansh Rai Bachchan, is an inspiring and motivational poem that encourages individuals to face life's challenges with courage and unwavering determination. The poem symbolizes life as a difficult and fiery path (agnipath), filled with obstacles and hardships that test a person’s inner strength.
Through powerful imagery and energetic expressions, the poet urges readers to stay strong, keep walking forward, and never give up, no matter how tough the journey becomes. The repeated call to move ahead fearlessly highlights the importance of perseverance and resilience. The poet believes that success belongs to those who continue their journey with confidence and hope.
The poem inspires students to stay focused on their goals, overcome fear, and maintain faith in their abilities. Agnipath teaches that challenges are temporary, but the strength gained by overcoming them lasts forever.
These NCERT solutions for Class 9 Hindi Agnipath help students deeply understand Harivansh Rai Bachchan's inspiring poem. They clarify difficult concepts and poetic expressions. Understanding these questions ensures a strong grasp of the poem's themes and prepares students for exams.
निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए—
(क) कवि ने 'उन्नत पथ' किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?
उत्तर: कवि ने 'उन्नत पथ' को संघर्ष और कठिनाइयों के प्रतीक के रूप में प्रयोग किया है। यह पथ जीवन की चुनौतियों और बाधाओं का दर्शन कराता है, जिनका सामना करते हुए मनुष्य को आगे बढ़ना होता है। उन्नत पथ कठिनाइयों और संघर्षों से भरा होता है, लेकिन इन्हीं संघर्षों में जीवन की असली सफलता और सार्थकता छिपी होती है।
(ख) 'माँ मटर', 'कर शपथ', 'लक्ष्य्य' इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर: इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि यह कहना चाहता है कि जीवन में हमें अपने लक्ष्यों के प्रति अडिग रहना चाहिए और किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए। 'माँ मटर' का अर्थ है कि किसी भी परिस्थिति में अपने इरादों को नहीं छोड़ना, 'कर शपथ' का तात्पर्य है कि अपनी कसम को निभाना, और 'लक्ष्य्य' का मतलब है कि हमेशा अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केन्द्रित रखना। इन शब्दों के माध्यम से कवि दृढ़ता, संकल्प और लक्ष्य की महत्ता को उजागर करता है।
(ग) 'एक पग...ऊँचे माँग मत' इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: इस पंक्ति का आशय है कि संघर्ष और कठिनाइयों से भरे जीवन के पथ पर चलते हुए किसी भी प्रकार की सहायता या आराम की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। 'ऊँचे' यहाँ आराम और सुरक्षा का प्रतीक है। कवि का कहना है कि जीवन की यात्रा में हमें अपने दम पर आगे बढ़ना चाहिए और किसी भी प्रकार की मदद की आस नहीं रखनी चाहिए। यह पंक्ति आत्मनिर्भरता और धैर्य का संदेश देती है।
निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए—
(क) तू न थमेगा कभी
तू न मुड़ेगा कभी
उत्तर: इस पंक्ति में कवि यह संदेश दे रहा है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएँ, हमें कभी भी रुकना या पीछे मुड़ना नहीं चाहिए। यह पंक्तियाँ दृढ़ संकल्प और निरंतरता का प्रतीक हैं, जो व्यक्ति को जीवन की कठिनाइयों के बावजूद अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। यहाँ पर 'तू' का मतलब है कि हमें हर परिस्थिति में अडिग रहना चाहिए और बिना किसी भय के अपने मार्ग पर आगे बढ़ते रहना चाहिए।
(ख) चल रहा मनुष्य है
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ
उत्तर: इस पंक्ति में कवि ने मनुष्य की कठिनाइयों और संघर्षों को दर्शाया है। 'अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ' का अर्थ है कि मनुष्य अपने जीवन में आँसु, पसीने और रक्त से भरे संघर्षों का सामना करते हुए निरंतर आगे बढ़ता रहता है। यह पंक्ति जीवन की जटिलताओं और संघर्षों को उजागर करती है। कवि यह भी बताना चाहता है कि इन सभी संघर्षों के बावजूद, मनुष्य निरंतर आगे बढ़ता रहता है। यह पंक्ति जीवन की कठिनाइयों के सामने मनुष्य की अदम्य इच्छा-शक्ति और साहस का प्रतीक है।
इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।
योग्यता-विस्तार
'जीवन संघर्ष का ही नाम है' इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा का आयोजन कीजिए।
परियोजना कार्य
'जीवन संघर्षमय है, इससे घबराकर ठहरना नहीं चाहिए।' इससे संबंधित अन्य कविताओं की कविताओं को एकत्र कर एक एलबम बनाइए।
उत्तर: इस कविता का मूलभाव यह है कि जीवन एक संघर्षमय यात्रा है, जिसमें इंसान को अनेक कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कवि ने जीवन के संघर्षों को 'उन्नत पथ' के रूप में प्रस्तुत किया है, जो कठिनाइयों और विपत्तियों से भरा हुआ है। लेकिन इस पथ पर आगे बढ़ने का नाम ही जीवन है। कवि का संदेश है कि इंसान को दृढ़ता, साहस, और संकल्प के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए; बिना रुके, बिना मुड़े, बिना भय के। चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, इंसान को कभी हार नहीं माननी चाहिए और अपने लक्ष्य की ओर दृढ़ता से बढ़ते रहना चाहिए।