NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 help students understand the story "Dukh Ka Adhikar". They provide clear explanations for all textbook questions. This resource helps students practice and understand the concepts.
It clarifies themes of social hierarchy and human empathy. Students can better understand the societal critique in the story.
The exercises in this chapter are divided based on topic and question type:
मौखिक प्रश्न (Oral Questions): These require short answers, often one or two sentences. They test basic comprehension.
लिखित प्रश्न (क) (Written Questions - Short): These questions need answers within 25-30 words. They explore specific details and understanding.
लिखित प्रश्न (ख) (Written Questions - Medium): These questions require answers of 50-60 words. They focus on deeper analysis of events and characters.
आशय स्पष्ट कीजिए (Explain the Meaning): This section asks students to elaborate on significant lines or phrases from the text.
भाषा-अध्ययन (Language Study): This part focuses on grammar, vocabulary, and linguistic structures used in the chapter. It includes synonyms, word pairs, and sentence construction.
योग्यता-विस्तार (Skill Enhancement): These activities promote critical thinking and discussion beyond the text.
Dukh ka Adhikar NCERT solutions help students answer various questions from the chapter. They improve understanding of the story's core messages. Students learn to analyze characters, plot, and themes like poverty and social status.
Understanding these Dukh Ka Adhikar Class 9 Question Answers prepares students for exams. They also build a strong foundation in Hindi literature. Below are the NCERT Solutions for Class 9 Hindi for preparation:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –
1. किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें क्या पता चलता है?
उत्तर:- किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें समाज में उसका दर्जा और अधिकार का पता चलता है तथा उसकी अमीरी-गरीबी श्रेणी का पता चलता है।
2. खरबूज़े बेचनेवाली स्त्री से कोई खरबूज़े क्यों नहीं खरीद रहा था?
उत्तर:- उसके बेटे की मृत्यु के कारण लोग उससे खरबूजे नहीं खरीद रहे थे।
3. उस स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा?
उत्तर:- उस स्त्री को देखकर लेखक का मन व्यथित हो उठा। उनके मन में उसके प्रति सहानुभूति की भावना उत्पन्न हुई थी।
4. उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का कारण क्या था?
उत्तर:- उस स्त्री का लड़का एक दिन मुँह-अंधेरे खेत में से बेलों से तरबूजे चुन रहा था की गीली मेड़ की तरावट में आराम करते साँप पर उसका पैर पड़ गया और साँप ने उस लड़के को डस लिया। ओझा के झाड़-फूँक आदि का उस पर कोई प्रभाव न पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई।
5. बुढ़िया को कोई भी क्यों उधार नहीं देता?
उत्तर:- बुढिया का बेटा मर गया था इसलिए बुढ़िया को दिए उधार को लौटने की कोई संभावना नहीं थी। इस वजह से बुढ़िया को कोई उधार नहीं देता था।
• प्रश्न-अभ्यास (लिखित)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –
6. मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व है?
उत्तर:- मनुष्य के जीवन में पोशाक का बहुत महत्व है। पोशाकें ही व्यक्ति का समाज में अधिकार व दर्जा निश्चित करती हैं। पोशाकें व्यक्ति को ऊँच-नीच की श्रेणी में बाँट देती है। कई बार अच्छी पोशाकें व्यक्ति के भाग्य के बंद दरवाज़े खोल देती हैं। सम्मान दिलाती हैं।
7. पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?
उत्तर:- जब हमारे सामने कभी ऐसी परिस्थिति आती है कि हमें किसी दुखी व्यक्ति के साथ सहानुभूति प्रकट करनी होती है, परन्तु उसे छोटा समझकर उससे बात करने में संकोच करते हैं।उसके साथ सहानुभूति तक प्रकट नहीं कर पाते हैं। हमारी पोशाक उसके समीप जाने में तब बंधन और अड़चन बन जाती है।
8. लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया?
उत्तर:- वह स्त्री घुटनों में सिर गड़ाए फफक-फफककर रो रही थी। इसके बेटे की मृत्यु के कारण लोग इससे खरबूजे नहीं ले रहे थे। उसे बुरा-भला कह रहे थे। उस स्त्री को देखकर लेखक का मन व्यथित हो उठा। उनके मन में उसके प्रति सहानुभूति की भावना उत्पन्न हुई थी। परंतु लेखक उस स्त्री के रोने का कारण इसलिए नहीं जान पाया क्योंकि उसकी पोशाक रुकावट बन गई थी।
9. भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?
उत्तर:- भगवाना शहर के पास डेढ़ बीघा भर ज़मीन में खरबूज़ों को बोकर परिवार का निर्वाह करता था। खरबूज़ों की डलियाँ बाज़ार में पहुँचाकर लड़का स्वयं सौदे के पास बैठ जाता था।
10. लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूज़े बेचने क्यों चल पड़ी?
उत्तर:- बुढ़िया बेटे की मृत्यु का शोक तो प्रकट करना चाहती है परंतु उसके घर की परिस्थिति उसे ऐसा करने नहीं दे रही थी। इसका सबसे बड़ा कारण है, धन का अभाव। उसके बेटे भगवाना के बच्चे भूख के मारे बिलबिला रहे थे। बहू बीमार थी। यदि उसके पास पैसे होते, तो वह कभी भी सूतक में सौदा बेचने बाज़ार नहीं जाती।
11. बुढ़िया के दु:ख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई?
उत्तर:- लेखक के पड़ोस में एक संभ्रांत महिला रहती थी। उसके पुत्र की भी मृत्यु हो गई थी और बुढ़िया के पुत्र की भी मृत्यु हो गई थी परन्तु दोनों के शोक मनाने का ढंग अलग-अलग था। धन के अभाव में बेटे की मृत्यु के अगले दिन ही वृद्धा को बाज़ार में खरबूज़े बेचने आना पड़ता है। वह घर बैठ कर रो नहीं सकती थी। मानों उसे इस दुख को मनाने का अधिकार ही न था। आस-पास के लोग उसकी मजबूरी को अनदेखा करते हुए, उस वृद्धा को बहुत भला-बुरा बोलते हैं। जबकि संभ्रांत महिला को असीमित समय था। अढ़ाई मास से पलंग पर थी, डॉक्टर सिरहाने बैठा रहता था। लेखक दोनों की तुलना करना चाहता था इसलिए उसे संभ्रांत महिला की याद आई।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –
12. बाज़ार के लोग खरबूज़े बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:- धन के अभाव में बेटे की मृत्यु के अगले दिन ही वृद्धा को बाज़ार में खरबूज़े बेचने आना पड़ता है। बाज़ार के लोग उसकी मजबूरी को अनदेखा करते हुए, उस वृद्धा को बहुत भला-बुरा बोलते हैं। कोई घृणा से थूककर बेहया कह रहा था, कोई उसकी नीयत को दोष दे रहा था, कोई रोटी के टुकड़े पर जान देने वाली कहता, कोई कहता इसके लिए रिश्तों का कोई मतलब नहीं है, परचून वाला कहता, यह धर्म ईमान बिगाड़कर अंधेर मचा रही है, इसका खरबूज़े बेचना सामाजिक अपराध है। इन दिनों कोई भी उसका सामान छूना नहीं चाहता था।
13. पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला?
उत्तर:- पास-पड़ोस की दुकानों में पूछने पर लेखक को पता चला की। उसका २३ साल का जवान लड़का था। घर में उसकी बहू और पोता-पोती हैं। लड़का शहर के पास डेढ़ बीघा भर जमीन में कछियारी करके निर्वाह करता था। खरबूजों की डलिया बाज़ार में पहुँचाकर कभी लड़का स्वयं सौदे के पास बैठ जाता, कभी माँ बैठ जाती। परसों मुँह-अंधेरे खेत में से बेलों से तरबूजे चुन रहा था कि गीली मेड़ की तरावट में आराम करते साँप पर उसका पैर पड़ गया और साँप ने उस लड़के को डस लिया। ओझा के झाड़-फूँक आदि का उस पर कोई प्रभाव न पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई।
14. लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने क्या-क्या उपाय किए?
उत्तर:- लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया जो कुछ वह कर सकती थी उसने वह सब सभी उपाय किए। वह पागल सी हो गई। झाड़-फूँक करवाने के लिए ओझा को बुला लाई, साँप का विष निकल जाए इसके लिए नाग देवता की भी पूजा की, घर में जितना आटा अनाज था वह दान दक्षिणा में ओझा को दे दिया परन्तु दुर्भाग्य से लड़के को नहीं बचा पाई।
15. लेखक ने बुढ़िया के दु:ख का अंदाज़ा कैसे लगाया?
उत्तर:- लेखक उस पुत्र-वियोगिनी के दु:ख का अंदाज़ा लगाने के लिए पिछले साल अपने पड़ोस में पुत्र की मृत्यु से दु:खी माता की बात सोचने लगा। वह महिला अढ़ाई मास से पलंग पर थी,उसे १५ -१५ मिनट बाद पुत्र-वियोग से मूर्छा आ जाती थी। डॉक्टर सिरहाने बैठा रहता था। शहर भर के लोगों के मन पुत्र-शोक से द्रवित हो उठे थे।
16. इस पाठ का शीर्षक ‘दुःख का अधिकार कहाँ तक सार्थक है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- इस पाठ का शीर्षक ‘दु:ख का अधिकार’ पूरी तरह से सार्थक सिद्ध होता है क्योंकि यह अभिव्यक्त करता है कि दु:ख प्रकट करने का अधिकार व्यक्ति की परिस्थिति के अनुसार होता है। यद्यपि दु:ख का अधिकार सभी को है। गरीब बुढ़िया और संभ्रांत महिला दोनों का दुख एक समान ही था। दोनों के पुत्रों की मृत्यु हो गई थी परन्तु संभ्रांत महिला के पास सहूलियतें थीं, समय था। इसलिए वह दु:ख मना सकी परन्तु बुढ़िया गरीब थी, भूख से बिलखते बच्चों के लिए पैसा कमाने के लिए निकलना था। उसके पास न सहूलियतें थीं न समय। वह दु:ख न मना सकी। उसे दु:ख मनाने का अधिकार नहीं था। इसलिए शीर्षक पूरी तरह सार्थक प्रतीत होता है।
17. जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।
उत्तर:- प्रस्तुत कहानी समाज में फैले अंधविश्वासों और अमीर-गरीबी के भेदभाव को उजागर करती है। यह कहानी अमीरों के अमानवीय व्यवहार और गरीबों की विवशता को दर्शाती है। मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं। प्राय: पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्ज़ा निश्चित करती है। वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाज़े खोल देती है,
परंतु कभी ऐसी भी परिस्थिति आ जाती है कि हम ज़रा नीचे झुककर समाज की निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं। उस समय यह पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है। जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह खास पारिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।
18. इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।
उत्तर:- समाज में रहते हुए प्रत्येक व्यक्ति को नियमों, कानूनों व परंपराओं का पालन करना पड़ता है। दैनिक आवश्यकताओं से अधिक महत्व जीवन मूल्यों को दिया जाता है।यह वाक्य गरीबों पर एक बड़ा व्यंग्य है। गरीबों को अपनी भूख के लिए पैसा कमाने रोज़ ही जाना पड़ता है चाहे घर में मृत्यु ही क्यों न हो गई हो। परन्तु कहने वाले उनसे सहानुभूति न रखकर यह कहते हैं कि रोटी ही इनका ईमान है, रिश्ते-नाते इनके लिए कुछ भी नहीं है।
19. शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और… दु:खी होने का भी एक अधिकार होता है।
उत्तर:- यह व्यंग्य अमीरी पर है क्योंकि समाज में अमीर लोगों के पास दुख मनाने का समय और सुविधा दोनों होती हैं। इसके लिए वह दु:ख मनाने का दिखावा भी कर पाता है और उसे अपना अधिकार समझता है। शोक करने, गम मनाने के लिए सहूलियत चाहिए। दुःख में मातम सभी मनाना चाहते हैं चाहे वह अमीर हो या गरीब। परंतु गरीब विवश होता है। वह रोज़ी रोटी कमाने की उलझन में ही लगा रहता है। उसके पास दु:ख मनाने का न तो समय होता है और न ही सुविधा होती है। इस प्रकार गरीबों को रोटी की चिंता उसे दु:ख मनाने के अधिकार से भी वंचित कर देती है।
• भाषा अध्ययन
20. निम्नांकित शब्द-समूहों को पढ़ो और समझो –
क) कड्.घा, पतड्.ग, चञ्च्ल, ठण्डा, सम्बन्ध।
ख) कंधा, पतंग, चंचल, ठंडा, संबंध।
ग) अक्षुण, समिमलित, दुअन्नी, चवन्नी, अन्न।
घ) संशय, संसद, संरचना, संवाद, संहार।
ड) अंधेरा, बाँट, मुँह, ईंट, महिलाएँ, में,मैं।
ध्यान दो कि ड्., ञ्, ण्, न्, म् ये पाँचों पंचमाक्षर कहलाते हैं। इनके लिखने की विधियाँ तुमने ऊपर देखीं – इसी रूप में या अनुस्वार के रूप में। इन्हें दोनों में से किसी भी तरीके से लिखा जा सकता है और दोनों ही शुद्ध हैं। हाँ, एक पंचमाक्षर जब दो बार आए तो अनुस्वार का प्रयोग नहीं होगा, जैसे – अम्मा, अन्न आदि। इसी प्रकार इनके बाद यदि अंतस्थ य, र, य, व और ऊष्म श, ष, स, ह आदि हों तो अनुस्वार का प्रयोग होगा,
परंतु उसका उच्चारण पंचम वर्णों में से किसी भी एक वर्ण की भाँति हो सकता है ; जैसे – संशय, संरचना में ‘न्’, संवाद में ‘म्’ और संहार में ‘ड्.’। (ं) यह चिह्न है अनुस्वार का और (ँ) यह चिह्न है अनुनासिका का। इन्हें क्रमशः बिंदु और चंद्र-बिंदु भी कहते हैं। दोनों के प्रयोग और उच्चारण में अंतर है। अनुस्वार का प्रयोग व्यंजन के साथ होता है अनुनासिका का स्वर के साथ।
उत्तर:- निम्नांकित शब्द -समूहों को पढ़ो और समझो –
क) कड्.घा, पतड्.ग, चञ्च्ल, ठण्डा, सम्बन्ध।
ख) कंधा, पतंग, चंचल, ठंडा, संबंध।
ग) अक्षुण, समिमलित, दुअन्नी, चवन्नी, अन्न।
घ) संशय, संसद, संरचना, संवाद, संहार।
ड) अंधेरा, बाँट, मुँह, ईंट, महिलाएँ, में, मैं।
ध्यान दो कि ड्.,ञ् ,ण् ,न् ,म् ये पाँचों पंचमाक्षर कहलाते हैं। इनके लिखने की विधियाँ तुमने ऊपर देखीं – इसी रूप में या अनुस्वार के रूप में। इन्हें दोनों में से किसी भी तरीके से लिखा जा सकता है और दोनों ही शुद्ध हैं। हाँ, एक पंचमाक्षर जब दो बार आए तो अनुस्वार का प्रयोग नहीं होगा, जैसे – अम्मा, अन्न आदि। इसी प्रकार इनके बाद यदि अंतस्थ य, र, य, व और ऊष्म श, ष, स, ह आदि हों तो अनुस्वार का प्रयोग होगा, परंतु उसका उच्चारण पंचम वर्णों में से किसी भी एक वर्ण की भाँति हो सकता है ; जैसे – संशय, संरचना में ‘न्’, संवाद में ‘म्’ और संहार में ‘ड्.’। (ं)
यह चिह्न है अनुस्वार का और (ँ) यह चिह्न है अनुनासिका का। इन्हें क्रमशः बिंदु और चंद्र-बिंदु भी कहते हैं। दोनों के प्रयोग और उच्चारण में अंतर है। अनुस्वार का प्रयोग व्यंजन के साथ होता है अनुनासिका का स्वर के साथ।
21. निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए –
|
ईमान |
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बदन |
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अंदाज़ा |
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बेचैनी |
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गम |
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दर्ज़ा |
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ज़मीन |
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ज़माना |
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बरकत |
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उत्तर:-
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ईमान |
धर्म, विश्वास |
|
बदन |
शरीर, काया |
|
अंदाज़ा |
अनुमान, आकलन |
|
बेचैनी |
व्याकुलता, अकुलाहट |
|
गम |
दुःख, पीड़ा |
|
दर्ज़ा |
श्रेणी, पदवी |
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ज़मीन |
पृथ्वी, धरा |
|
ज़माना |
युग, काल |
|
बरकत |
लाभ, इज़ाफा |
22. निम्नलिखित उदाहरण के अनुसार पाठ में आए शब्द-युग्मों को छाँटकर लिखिए –
उदाहरण : बेटा-बेटी
उत्तर:- खसम – लुगाई, पोता-पोती, झाड़ना-फूँकना,
छन्नी – ककना, दुअन्नी-चवन्नी।
23. पाठ के संदर्भ के अनुसार निम्नलिखित वाक्यांशों की व्याख्या कीजिए –
बंद दरवाज़े खोल देना, निर्वाह करना, भूख से बिलबिलाना, कोई चारा न होना, शोक से द्रवित हो जाना।
उत्तर:- • बंद दरवाज़े खोल देना – प्रगति में बाधक तत्व हटने से बंद दरवाज़े खुल जाते हैं।
• निर्वाह करना – परिवार का भरण-पोषण करना।
• भूख से बिलबिलाना – बहुत तेज भूख लगना।
• कोई चारा न होना – कोई और उपाय न होना।
• शोक से द्रवित हो जाना – दूसरों का दु:ख देखकर भावुक हो जाना।
24. निम्नलिखित शब्द-युग्मों और शब्द-समूहों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
क) छन्नी-ककना अढ़ाई-मास पास-पड़ोस
दुअन्नी-चवन्नी मुँह-अँधेरे झाड़ना-फूँकना
ख) फफक-फफककर बिलख-बिलखकर
तड़प-तड़पकर लिपट-लिपटकर
उत्तर:- क)
1. छन्नी-ककना – गरीब माँ ने अपना छन्नी-ककना बेचकर बच्चों को पढ़ाया-लिखाया।
2. अढ़ाई-मास – वह विदेश में अढ़ाई – मास के लिए गया है ।
3. पास-पड़ोस – पास-पड़ोस के साथ मिल-जुलकर रहना चाहिए, वे ही सुख-दुःख के सच्चे साथी होते है।
4. दुअन्नी-चवन्नी – आजकल दुअन्नी-चवन्नी का कोई मोल नहीं है।
5. मुँह-अँधेरे – वह मुँह-अँधेरे उठ कर काम ढूँढने चला जाता है ।
6. झाड़-फूँकना – आज के जमाने में भी कई लोग झाँड़ने-फूँकने पर विश्वास करते हैं।
ख)
1. फफक-फफककर – भूख के मारे गरीब बच्चे फफक-फफककर रो रहे थे।
2. तड़प-तड़पकर – अंधविश्वास और इलाज न करने के कारण साँप के काटे जाने पर गाँव के लोग तड़प-तड़पकर मर जाते है ।
3. बिलख-बिलखकर – बेटे की मृत्यु पर वह बिलख-बिलखकर रो रही थी।
4. लिपट-लिपटकर – बहुत दिनों बाद मिलने पर दोनों सहेलियाँ लिपट-लिपटकर मिली।
25. निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं को ध्यान से पढ़िए और इस प्रकार के कुछ और वाक्य बनाइए :
(क)
• लड़के सुबह उठते ही भूख से बिलबिलाने लगे।
• उसके लिए तो बजाज की दुकान से कपड़ा लाना ही होगा।
• चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएँ।
(ख)
• अरे जैसी नीयत होती है, अल्ला भी वैसी ही बरकत देता है।
• भगवाना जो एक दफे चुप हुआ तो फिर न बोला।
उत्तर:- (क)
• छोटा बच्चा नींद से उठते ही भूख से बिलबिलाने लगा।
• आज उसके जन्मदिन का उपहार लाना ही होगा।
• माँ मोहन को पढ़ाना चाहती थीं, चाहे उसके लिए उसके हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएँ।
(ख)
• अरे जो जैसा करता है, वैसा ही भरता है।
• बीमार रामू जो एक दफे चुप हुआ तो फिर न बोला।
Dukh Ka Adhikar is an emotional story written by Yashpal. The chapter shows the bond between a mother and her young daughter. The mother works very hard to raise her child and tries to hide all her pain and problems. She believes that children should experience only happiness, not sadness. But the daughter wants her mother to share her sorrow so she can also understand her feelings.
Slowly, the mother realizes that hiding sorrow makes the child feel distant. When she shares her pain, the daughter feels closer and more responsible. The story teaches that expressing sadness is natural, and sharing it with loved ones strengthens relationships. It also shows that pain is a right (“dukh ka adhikar”) and everyone has the right to feel and express it.
Using these Class 9 Hindi Dukh Ka Adhikar Question Answer effectively helps in exam preparation. Follow these steps:
Read the chapter carefully. Grasp the main themes like social inequality and the role of clothing.
First, try to answer all questions from the textbook on your own. This tests your initial understanding.
If you get stuck or need to check your answers, refer to these NCERT Solutions. Clarify any mistakes immediately.
Pay special attention to explaining meaning. This section improves your analytical and expressive skills.
Work through the grammar and vocabulary exercises. This strengthens your Hindi language foundation.