NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7 help students thoroughly understand the wisdom and teachings found in Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7 Rahim Ke Dohe. Each doha by Rahim carries moral values that guide daily life, and these solutions make the meanings clearer and easier to learn. By breaking down the poetic language into simple explanations, students grasp both the literal and deeper messages.
Rahim Ke Dohe Class 9 Question Answers also strengthen students’ conceptual clarity by offering accurate answers to all textbook questions. These help students improve interpretation skills, improve writing quality, and build confidence for scoring well in the Hindi exam.
Understanding Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7 Rahim Ke Dohe Question Answer is important for appreciating Hindi literature and its moral teachings.
These NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7 solutions help students grasp the deep meanings embedded in each couplet.
The solutions provided here are essential for academic success and a better understanding of life's values. NCERT Solutions for Class 9 Hindi Chapter 7 are given here:
a). निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
1. प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति क्यों नहीं हो पाता?
उत्तर:- प्रेम आपसी लगाव, निष्ठा, समपर्ण और विश्वास का नाम है। यदि एक बार भी किसी कारणवश इसमें दरार आती है तो प्रेम फिर पहले जैसा नहीं रह पाता है। जिस प्रकार धागा टूटने पर जब उसे जोड़ा जाए तो एक गाँठ पड़ ही जाती है। अत:प्रेम सम्बन्ध बड़ी ही कठिनाई से बनते हैं इसलिए इन्हें जतन से सँभालकर रखना चाहिए।
2. हमें अपना दुःख दूसरों पर क्यों नहीं प्रकट करना चाहिए? अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है?
उत्तर:- हमें अपना दुःख दूसरों पर नहीं प्रकट करना चाहिए क्योंकि इससे हम केवल दूसरों के उपहास के पात्र बनते हैं।
अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार हमारे प्रति उपहासपूर्ण और दुख को और बढ़ानेवाला हो जाता है।
3. रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है?
उत्तर:- सागर पानी से लबालब भरा होने के बावजूद उसके जल को कोई पी नहीं पाता क्योंकि उसका स्वाद खारा होता है। इसके विपरीत पंक के जल को पीकर छोटे जीव-जंतु की प्यास बुझ जाती है। वे तृप्त हो जाते हैं इसलिए रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को उसकी उपयोगिता के करण धन्य कहा है।
4. एक को साधने से सब कैसे सध जाता है?
उत्तर:- कवि रहीम के अनुसार एक ही ईश्वर पर अटूट विश्वास रखने से सारे कार्य सिद्ध हो जाते हैं। जिस प्रकार जड़ को सींचने से हमें फल और फूलों की प्राप्ति हो जाती है उसी प्रकार एक ही ईश्वर को स्मरण करने से हमें सारे सुख प्राप्त हो जाते हैं।
5. जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता?
उत्तर:- यद्यपि सूर्य कमल का पोषण करता है परन्तु पानी नहीं होता तो कमल सूख जाता है क्योंकि कमल को पुष्पित होने के लिए जल की अधिक आवश्यकता होती है। अत: कमल की संपत्ति जल है उसके न रहने पर सूर्य भी उसकी सहायता नहीं कर सकता है।
6. अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा?
उत्तर:- अवध नरेश को चित्रकूट अपने वनवास के दिनों में जाना पड़ा। यहाँ कहने का तात्पर्य यह है कि संकट के समय सभी को ईश्वर की शरण में जाना पड़ता है।
7. ‘नट’ किस कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है?
उत्तर:- ‘नट’ कुंडली मारने की कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है।
8. ‘मोती, मानुष, चून’ के संदर्भ में पानी के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- ‘मोती, मानुष, चून’ के संदर्भ में पानी का महत्त्व यह है कि मोती को उसकी चमक पानी से ही प्राप्त होती है। मनुष्य के संदर्भ में पानी का अर्थ उसके मान-सम्मान से है और आटे के संदर्भ में उसे गूंथने और खाने योग्य बनाने से है। इस तरह तीनों का ही पानी के बिना महत्त्व कम हो जाता है।
b). निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए –
1. टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।
उत्तर:- इस पंक्ति का भाव यह है कि प्रेम सम्बन्धी धागे को यत्नपूर्वक सहेजकर रखना चाहिए। यह धागा यदि एक बार टूट जाए तो अपनी सामान्य स्थिति में नहीं लौट सकता। यदि लौट भी जाए तो उसमें गाँठ हमेशा ही बरक़रार रहेगी।
2. सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।
उत्तर:- इस पंक्ति का भाव यह है कि अपना दुःख अपने तक ही सीमित रखें। उसे सबको बताकर हँसी-मज़ाक का पात्र न बने क्योंकि दूसरे का दुःख कोई बाँटता नहीं है।
3. रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।
उत्तर:- इस पंक्ति का भाव यह है कि फल-फूल पाने के लिए जड़ को ही सींचना चाहिए अर्थात् कवि यहाँ पर एक ही ईश्वर भक्ति की ओर ध्यान देने के लिए कहते हैं।
4. दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
उत्तर:- इस पंक्ति का भाव यह है कि दोहे में अक्षर कम होने के बावजूद उसमें गूढ़ अर्थ छिपा रहता है। उनका गूढ़ अर्थ ही उनकी गागर में सागर भरने की प्रवृत्ति को स्पष्ट कर देता है। ठीक वैसे ही जैसे नट कुंडली को समेटकर कूदकर रस्सी पर चढ़ जाता है।
कवि के कहने का तात्पर्य यह है कि हम जीवन में जो भी कार्य करें उसमें हमें सिद्धहस्त होना चाहिए।
5. नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।
उत्तर:- इस पंक्ति का भाव यह है कि मधुर संगीत को सुनकर हिरन अपने प्राण तक न्योछावर करने के लिए तैयार हो जाता है और मनुष्य किसी कला पर मोहित होकर उसे धन देता है और कल्याण करता है परन्तु जो दूसरों से प्रसन्न होकर भी कुछ नहीं देता, वह नर पशु समान है।
6. जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।
उत्तर:- इस पंक्ति का भाव यह है कि हर-एक छोटी-बड़ी वस्तु का अपना-अपना महत्त्व होता है। जो काम सुई कर सकती है वह काम तलवार नहीं कर सकती है और जो काम तलवार कर सकती है वह कार्य सुई नहीं कर सकती अत: सबकी अपनी-अपनी उपयोगिता होती है और किसी की भी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
7. पानी गए न ऊबरै, मोती मानुष चून।
उत्तर:- इस पंक्ति का भाव यह है कि मोती में चमक न रहे तो वह व्यर्थ हो जाता है, मनुष्य का आत्म-सम्मान न रहे तो उसका जीवन बेकार है और यदि आटे में पानी ना हो तो वह खाने लायक नहीं होता। पानी के बिना ये तीनों ही उबर नहीं सकते हैं।
c). निम्नलिखित भाव को पाठ में किन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है –
1. जिस पर विपदा पड़ती वही इस देश में आता है।
उत्तर:- जा पर विपदा पड़त है, सो आवत यह देस।
2. कोई लाख कोशिश करे पर बिगड़ी बात फिर बन नहीं सकती।
उत्तर:- बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
3. पानी के बिना सब सूना है अत: पानी अवश्य रखना चाहिए।
उत्तर:- रहिमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून।
4. उदाहारण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए –
उत्तर:- उदाहारण – कोय-कोई, जै-जो
5. उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए −
उदाहण : कोय − कोई , जे – जो
ज्यों —————- कछु —————-
नहिं —————- कोय —————-
धनि —————- आखर —————-
जिय —————- थोरे —————-
होय —————- माखन —————-
तरवारि —————- सींचिबो —————-
मूलहिं —————- पिअत —————-
पिआसो —————- बिगरी —————-
आवे —————- सहाय —————-
ऊबरै —————- बिनु —————-
बिथा —————- अठिलैहैं —————-
परिजाय —————- —————-
उत्तर:- ज्यों – जैसे कछु – कुछ
नहि – नहीं कोय – कोई
धनि – धन्य आखर – अक्षर
जिय – जी थोरे – थोड़े
होय – होना माखन – मक्खन
तरवारि – तलवार सींचिबो – सींचना
मूलहिं – मूल को पिअत – पीना
पिआसो – प्यासा बिगरी – बिगड़ी
आवे – आए सहाय – सहायक
ऊबरै – उबरना बिनु – बिना
बिथा – व्यथा अठिलैहैं – हँसी उड़ाना
परिजाए – पड़ जाए
Rahim Ke Dohe is a collection of meaningful and moral-rich couplets written by the famous poet Abdul Rahim Khan-e-Khana, a respected figure in Akbar’s court. Rahim’s dohas provide guidance on human values, behaviour, humility, kindness, relationships, and the importance of inner character.
The poet uses simple yet powerful language to teach that one should always stay humble, even in times of success. Several dohas highlight how kindness and polite speech can win hearts, while harsh words can break relationships. Rahim also emphasizes the value of patience, generosity, and understanding others' feelings.
The dohas encourage students to remain grounded, practise compassion, and maintain good behaviour irrespective of circumstances. Through practical life lessons and relatable examples, Rahim’s teachings continue to inspire moral conduct and balanced thinking. The chapter helps students develop wisdom, empathy, and emotional maturity.