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1. कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल क्यों नहीं हुई ?
उत्तर:- बचपन में एक बार कवि की माँ ने कवि को यह शिक्षा दी कि दक्षिण दिशा की ओर यमराज का घर होता है। अत: उनकी तरफ पैर करके सोना उनको रुष्ट करने के समान है। माँ द्वारा दी गई इस शिक्षा का कवि ने आजीवन पालन किया। यही कारण है कि कवि को दक्षिण दिशा को पहचानने में कभी गलती नहीं हुई।
2. कवि ने ऐसा क्यों कहा कि दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था ?
उत्तर:- दक्षिण दिशा का कोई ओर-छोर नहीं होता हम यह नहीं कह सकते कि इस निश्चित स्थान पर दक्षिण दिशा समाप्त हो गई है। यहाँ पर कवि ने दक्षिण दिशा को एक प्रतीक के रूप में शोषण से जोड़ा है कि शोषण का भी कोई ओर-छोर नहीं होता। इससे हम बच नहीं सकते हैं। इसलिए कवि ने ऐसा कहा कि दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था।
3. कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा क्यों हो गई है?
उत्तर:- आज मनुष्य का जीवन कहीं भी सुरक्षित नहीं रह गया है। चारों और असंतोष, हिंसा और विध्वंसक ताकतें फैली हुईं हैं। एक ओर जहाँ हम सभ्यता के विकास के लिए आधुनिक आविष्कार कर रहे हैं तो दूसरी ओर विध्वंसक हथियारों का भी उसी रफ़्तार से निर्माण हो रहा है। हिंसा और आंतक इतना फ़ैल चूका है कि अब मौत की एक दिशा नहीं है बल्कि संसार के हर एक कोने में मौत अपना डेरा जमाए बैठी है। कवि सभ्यता के विकास की इसी खतरनाक दिशा के कारण कह रहा है कि आज हर दिशा दक्षिण दिशा बन गई है।
4. भाव स्पष्ट कीजिए – सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं और वे सभी में एक साथ अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं
उत्तर:- भाव – प्रस्तुत पंक्तियों का भाव यह यह कि आज सामान्य जनमानस कहीं पर भी सुरक्षित नहीं है। चारों ओर शोषणकर्ताओं ने अपना जाल बिछा रखा है। वे नए नए रूपों में हमारे सामने हमारा अंत करने के लिए तत्पर हैं। आज के इस समय में यमराज का चेहरा भी बदल गया है और सभी जगह विराजमान भी है।
• रचना और अभिव्यक्ति
5. कवि की माँ ईश्वर से प्रेरणा पाकर उसे कुछ मार्ग-निर्देश देती है। आपकी माँ भी समय-समय पर आपको सीख देती होंगी – वह आपको क्या सीख देती हैं?
उत्तर:- माँ अपने अनुभवों द्वारा हमें अनेकों सीख देती है। मेरी माँ भी समय – समय पर सीख देती रहती है जैसे – हर कार्य को नियत समय पर करना, छोटों-बड़ों को उचित सम्मान देना, जीवन मूल्यों को जीवन में उतारना आदि।
6. कवि की माँ ईश्वर से प्रेरणा पाकर उसे कुछ मार्ग-निर्देश देती है। आपकी माँ भी समय-समय पर आपको सीख देती होंगी – क्या उसकी हर सीख आपको उचित जान पड़ती है? यदि हाँ तो क्यों और नहीं तो क्यों नहीं ?
उत्तर:- मुझे तो माँ की हर सीख उचित जान पड़ती है क्योंकि माँ ने अपने जीवन के अनुभवों द्वारा जो कुछ सीखा है उस आधार पर वे हमें जीवन की सही राह पर चलना सिखाती है।
7. कभी-कभी उचित-अनुचित निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना आवश्यक हो जाता है, इसके क्या कारण हो सकते हैं ?
उत्तर:- अक्सर बच्चे अपनी माँ की बात को नहीं मानते या उनमें अपना भला बुरा समझने की शक्ति नहीं होती है। इस कारण से माँ अपने बच्चों को ईश्वर का भय दिखाकर उन्हें सही रास्ते पर चलने को बाध्य करती है। सम्भवत: ईश्वर के प्रति असीम श्रद्धा होने के कारण माँ अपने बच्चों के भले के लिए ईश्वर का भय दिखाकर गलत करने से हमें रोकती है।