NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 4 Jai Shankar Prasad are prepared to help students grasp the important themes and literary elements of this chapter. These solutions follow the Class 10 Hindi syllabus and provide clear explanations along with Class 10 Hindi Atmakatha question answers to aid in better understanding.
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CBSE Class 10 Compartment Result 2025
Atmakatha’ (Autobiography) is a reflective piece written by renowned Hindi poet and playwright Jai Shankar Prasad. In this chapter, the author presents glimpses of his childhood, family background, and the social environment he lived in.
Through his writing, students get a deep insight into the emotional and intellectual world of the author.
This chapter not only offers a look into the personal life of a literary figure but also highlights how one can overcome difficult circumstances through creativity and strong thinking. The language used is simple yet expressive, making it easier for students to understand and connect with the content.
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1. कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहता है ?
उत्तर:- कवि आत्मकथा लिखने से इसलिए बचना चाहते है, क्योंकि –
1. आत्मकथा लिखने के लिए अपने मन की दुर्बलताओं, कमियों का उल्लेख करना पड़ता है।
2. अपनी सरलता के कारण उसने कई बार धोखा भी खाया है। वह अपने व्यक्तिगत जीवन को उपहास का कारण नहीं बनाना चाहता।
3. जीवन में बहुत सारी पीडादायक घटनाएँ हुई हैं, उन्हें याद करने से घाव फिर से हरे हो जाएँगे।
4. कवि अपने व्यक्तिगत अनुभवों को दुनिया के समक्ष व्यक्त नहीं करना चाहता।
2. आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में ‘अभी समय भी नहीं’ कवि ऐसा क्यों कहता है ?
उत्तर:- कवि को लगता है कि आत्मकथा लिखने का अभी उचित समय नहीं हुआ है, क्योंकि –
1. कवि का जीवन दुःख और अभावों से भरा रहा हैं। मुश्किल से कवि को अपनी पुरानी वेदना से मुक्ति मिली है, आत्मकथा लिखकर कवि अपने मन में दबे हुए कष्टों को याद करके दु:खी नहीं होना चाहता है।
2. कवि को ऐसा लगता है कि अभी ऐसी कोई उपलब्धि नहीं मिली है जिसे वह लोगों के सामने प्रेरणा स्वरुप रख सके।
3. स्मृति को ‘पाथेय’ बनाने से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर:- ‘पाथेय’ अर्थात् रास्ते का भोजन या सहारा। ‘पाथेय’ यात्रा में यात्री को सहारा देता है। स्मृति को पाथेय बनाने से कवि का आशय स्मृति के सहारे जीवन जीने से है। कवि की प्रेयसी उससे दूर हो गई है। कवि के मन-मस्तिष्क पर केवल उसकी स्मृति ही है। इन्हीं स्मृतियों को कवि अपने जीने का सहारा बनाना चाहता है।
4.1 मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया। आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया।
उत्तर:- कवि कहना चाहता है कि जिस प्रेम के कवि सपने देख रहे थे वो उन्हें कभी प्राप्त नहीं हुआ। कवि ने जिस सुख की कल्पना की थी वह उसे कभी प्राप्त न हुआ और उसका जीवन हमेशा उस सुख से वंचित ही रहा। इस दुनिया में सुख छलावा मात्र है। हम जिसे सुख समझते हैं वह अधिक समय तक नहीं रहता है, स्वप्न की तरह जल्दी ही समाप्त हो जाता है।
4.2 जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में। अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।
उत्तर:- कवि अपनी प्रेयसी के सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहता है कि प्रेममयी भोर वेला भी अपनी मधुर लालिमा उसके गालों से लिया करती थी। कवि की प्रेमिका का मुख सौंदर्य ऊषाकालीन लालिमा से भी बढ़कर था।
5. ‘उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की’ – कथन के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर:- कवि यह कहना चाहता है कि अपनी प्रेयसी के साथ चाँदनी रातों में बिताए गए वे सुखदायक क्षण किसी उज्ज्वल गाथा की तरह ही पवित्र है जो कवि के लिए अपने अन्धकारमय जीवन में आगे बढ़ने का एकमात्र सहारा बनकर रह गया। ऐसी स्मृतियों को वह सबके सामने प्रस्तुत कर अपनी हँसी नहीं उड़ाना चाहता है। अत: वह अपने जीवन की मधुर स्मृतियों को किसी से बाँटना नहीं चाहता बल्कि अपने तक ही सीमित रखना चाहता है।
6. ‘आत्मकथ्य’ कविता की काव्यभाषा की विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:- ‘जयशंकर प्रसाद’ द्वारा रचित कविता ‘आत्मकथ्य’ की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
प्रस्तुत कविता में कवि ने खड़ी बोली हिंदी भाषा का प्रयोग किया है –
“यह लो, करते ही रहते हैं अपना व्यंग्य-मलिन उपहास।”
अपने मनोभावों को व्यक्त कर उसमें सजीवता लाने के लिए कवि ने ललित, सुंदर एवं नवीन बिंबों का प्रयोग किया है कविता में बिम्बों का प्रयोग किया है; जैसे -“जिसके अरुण-कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में। अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।” प्रस्तुत कविता में कवि ने नवीन शब्दों का प्रयोग किया है –
“यह विडंबना ! अरी सरलते तेरी हँसी उड़ाऊ में।
भूले अपनी या प्रवंचना औरों की दिखलाउँ मैं।”
यहाँ-विडंबना, प्रवंचना जैसे नवीन शब्दों का प्रयोग किया गया है जिससे काव्य में सुंदरता आई है।
मानवीकरण शैली का – छायावाद की प्रमुख विशेषता – मानवीकरण
मानवेतर पदार्थों को मानव की तरह सजीव बनाकर प्रस्तुत किया गया है –
जैसे – थकी सोई है मेरी मौन व्यथा।
अरी सरलता तेरी हँसी उडाऊँ मैं।
अलंकारों के प्रयोग से काव्य सौंदर्य बढ़ गया है –
• खिल-खिलाकर, आते-आते में पुनरुक्ति अलंकार का प्रयोग किया गया है।
• अरुण – कपोलों में रुपक अलंकार है।
• मेरी मौन, अनुरागी उषा में अनुप्रास अलंकार है।
7. कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में किस रूप में अभिव्यक्त किया है ?
उत्तर:- कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे वह अपनी प्रेयसी नायिका के माध्यम से व्यक्त किया है। कवि कहता है कि नायिका स्वप्न में उसके पास आते-जाते मुस्कुरा कर भाग गई। कवि कहना चाहता है कि जिस प्रेम के कवि सपने देख रहे थे वो उन्हें कभी प्राप्त नहीं हुआ। कवि ने जिस सुख की कल्पना की थी वह उसे कभी प्राप्त न हुआ और उसका जीवन हमेशा उस सुख से वंचित ही रहा। इस दुनिया में सुख छलावा मात्र है। हम जिसे सुख समझते हैं वह अधिक समय तक नहीं रहता है, स्वप्न की तरह जल्दी ही समाप्त हो जाता है।
1. इस कविता के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्त्तित्व की जो झलक मिलती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:- इस कविता को पढ़कर प्रसाद जी के व्यक्तित्व की ये विशेषताएँ हमारे सामने आती हैं -
सरल और भोले -प्रसाद जी एक सीधे-सादे व्यक्तित्व के इंसान थे। उनके जीवन में दिखावा नहीं था। उनके मित्रों ने उनके साथ छल किया फिर भी वे भोलेपन में जीते रहें।
गंभीर और मर्यादित – वे अपने जीवन के सुख-दुख को लोगों पर व्यक्त नहीं करना चाहते थे, अपनी दुर्बलताओं को अपने तक ही सीमित रखना चाहते थे। अपनी दुर्बलताओं को समाज में प्रस्तुत कर वे स्वयं को हँसी का पात्र बनाना नहीं चाहते थे।
विनयशील – प्रसाद जी का स्वयं को दुर्बलताओं से भरा सरल दुर्बल इनसान कहना उनकी विनम्रता प्रकट करता हैं।
2. आप किन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहेंगे और क्यों ?
उत्तर:- हमें महान, प्रसिद्ध और कर्मठ लोगों की आत्मकथा पढ़कर उनसे शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। हमें देशभक्त, क्रान्तिकारी, लेखक, कलाकार आदि की आत्मकथाएँ पढ़नी चाहिए। उनकी जीवन-गाथा पढ़कर हमें यह जानने मिलेगा की उन्होंने सफलता कैसे प्राप्त की ? सफलता की राह में आगे बढ़ते हुए कौन-सी विपत्तियों का सामना करना पड़ा और कैसे उसका सामना किया ?
3. कोई भी अपनी आत्मकथा लिख सकता है। उसके लिए विशिष्ट या बड़ा होना जरूरी नहीं। हरियाणा राज्य के गुड़गाँव में घरेलू सहायिका के रुप में काम करने वाली बेबी हालदार की आत्मकथा बहुतों के द्वारा सराही गई। आत्मकथात्मक शैली में अपने बारे में कुछ लिखिए।
उत्तर:- मेरा नाम तवांग है। मैं चौदह साल का हूँ। मैं देहात में अपने माता पिता और बड़े भाई के साथ रहता हूँ। हमारा जीवन बड़ा ही कष्टमय है। मेरे गाँव में किसी भी प्रकार की कोई मूलभूत सुविधा (बिजली, पानी, स्कूल, अस्पताल आदि) न होने के करण यहाँ का जीवन बड़ा ही कष्टप्रद है। हमारे गाँव में बच्चों के लिए नजदीक में कोई विद्यालय न होने के कारण हमें करीब चार से पाँच किलोमीटर पैदल जाना पड़ता है। मुझे पढाई के साथ खेत में माता पिता का हाथ भी बटाँना पड़ता है।
हमारा पूरा परिवार कृषि पर ही केन्द्रित होने के कारण हम सभी को खेतों में भरपूर मेहनत करनी पड़ती है। मैं और मेरे मित्र सुबह बड़ी जल्दी उठकर नदी से पानी भरकर लाते हैं, उसके पश्चात् विद्यालय के लिए निकल पड़ते है। रोज विद्यालय से घर के रास्ते में एक मंदिर पड़ता है। मैं और मेरे मित्र रोज उस मंदिर में जाते हैं।
हमारी रास्ते भर शरारतें चलती रहती है। शाम के समय विद्यालय से लौटते समय हमें जंगल से सूखी लकड़ियाँ बटोरकर लानी पड़ती है और हमारे पशुओं के लिए हरा चारा भी लाना होता है। मेरे जीवन का यह लक्ष्य है कि मैं उच्च शिक्षा प्राप्त कर अपने गाँव की तस्वीर बदलूँगा और अपने माता-पिता के सपनों को सच करूँगा। मेरे माता-पिता मुझे एक काबिल डॉक्टर बनाना चाहते हैं। गाँव में पास में अस्पताल न होने के कारण सभी को बीमारी के समय काफ़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसलिए मैं इसलिए भरपूर मेहनत कर रहा हूँ।
1. Notes on Physics for class-10 Science
2. Notes on chemistry for class-10 Science
3. Notes on Biology for class-10 Science
4.Notes on Mathematics for class-10