Question 1. पाठ में दिए गए दोहों की कोई पंक्ति कथन है और कोई कथन को प्रमाणित करनेवाला उदाहरण। इन दोनों प्रकार की पंक्तियों को पहचान कर अलग-अलग लिखिए।
उत्तर:-
उदहारण वाले दोहे
तरवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान।
कहि रहीम परकाज हित, संपति-संचहि सुजान।।
थोथे बादर क्वार वके, ज्यों रहीम घहरात।
धनी पुरुष निर्धन भए, करें पाछिली बात।।
धरती की-सी रीत है, सीत घाम औ मेह।
जैसी परे सो सहि रहे, त्यों रहीम यह देह।।
कथन वाले दोहे
जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह।।
कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।।
Question 2. रहीम ने क्वार के मास में गरजनेवाले बादलों की तुलना ऐसे निर्धन व्यक्तियों से क्यों की है जो पहले कभी धनी थे और बीती बातों को बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं? दोहे के आधार पर आप सावन के बरसने और गरजनेवाले बादलों के विषय में क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर:-
क्वार के मास में गरजनेवाले बादल केवल गरजकर रह जाते हैं, बरसते नहीं हैं। ठीक उसी प्रकार जो पहले कभी धनी थे और बीती बातों को बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं, वे केवल बड़बड़ाकर रह जाते हैं। इसलिए कवि ने क्वार के मास में गरजनेवाले बादलों की तुलना ऐसे निर्धन व्यक्तियों से की है।
Question
3 .नीचे दिए गए दोहों में बताई गई सच्चाइयों को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो उनके क्या लाभ होंगे? सोचिए और लिखिए –
(क) तरुवर फल...................सचहिं सुजान||
(ख) धरती की-सी...................यह देह||
उत्तर:-
(क) हमारे मन में परोपकार की भावना का उदय होगा और हमारे मन से लोभ तथा मोह नष्ट हो जाएगा। लोगों में कटुता, द्वेष तथा विषमता कम होगी और सदभाव बढ़ेगा।
(ख) हमारा शरीर तथा मन सहनशील होगा और हम आने वाले कष्ट के लिए हमेशा तैयार रहेंगे, हमें दुख की अनुभूति कम होगी।
Question
4. निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित हिन्दी रूप लिखिए –
जैसे – परे-पड़े (रे, ड़े)
बिपति बादर
मछरी सीत
उत्तर:-
शब्द |
शब्दों के प्रचलित हिन्दी रूप |
बिपति |
विपत्ति |
मछरी |
मछली |
बादर |
बादल |
सीत |
शीत |
Question
5. नीचे दिए उदाहरण पढ़िए –
क) बनत बहुत बहु रीत।
ख) जाल परे जल जात बहि।
उपर्युक्त उदाहरणों की पहली पंक्ति में ‘ब’ का प्रयोग कई बार किया गया है और दूसरी में ‘ज’ का प्रयोग। इस प्रकार बार-बार एक ध्वनि के आने से भाषा की सुंदरता बढ़ जाती है।
वाक्य रचना की इस विशेषता के अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर:-
1. चारू चंद्र की चंचल किरणें (यहाँ 'च' वर्ण की आवृति बार-बार हुई है)
2. रघुपति राघव राजा राम (यहाँ 'र' वर्ण की आवृति बार-बार हुई है)
3. विमल वाणी ने वीणा ली (यहाँ 'व' वर्ण की आवृति बार-बार हुई है)
4. मुदित महीपति मंदिर आए (यहाँ 'म' वर्ण की आवृति बार-बार हुई है)
5. तरनि तनूजा तट तमाल तरूवर बहुछाए (यहाँ 'त' वर्ण की आवृति बार-बार हुई है)
जहाँ एक ही वर्ण की आवृति एक से अधिक बार की जाए वहाँ 'अनुप्रास' अंलकार होता है।
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