

NCERT Solutions for Class-10 Hindi chapter-1 Surdas: NCERT Solutions for hindi class 10th chapter 1 Surdas provide easy-to-understand explanations and answers to help students grasp the life and works of the famous poet Surdas. These solutions make studying simpler and help students prepare effectively for their exams.
Chapter 1 of Pad Parichay Class 10 NCERT Hindi introduces students to the basics of Hindi grammar and language skills. This chapter provides an overview of important concepts like sentence formation, word usage, and vocabulary enhancement.
It lays a strong foundation for understanding Hindi and helps students improve their reading and writing skills in an easy and structured way. The chapter also includes exercises to practice and strengthen these concepts effectively.
The Class 10 Hindi Kshitij Chapter "Surdas Ke Pad" question and answer solutions, including the important class 10 hindi chapter 1 question answer format, help students understand the beautiful poetry and deep devotion of Surdas, a great poet devoted to Lord Krishna. The questions and answers provided below make it easier for students to grasp the meanings and emotions in this chapter and prepare well for their exams.
NCERT Solutions for class-10 Hindi chapter 1 Surdas are prepared by academic team of Physics Wallah. All questions of chapter 1 are explained as per the CBSE guideline and academic team of Physics Wallah. Read the theory of chapter 1 try to understand the meaning and then after start writing the questions given in class-10 NCERT textbook for the chapter 1. And take reference from NCERT Solutions of class-10 Hindi. The NCERT Solutions by Physics Wallah provide a complete explanation of problems, you can download in PDF format.
1. गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है ?
उत्तर:- गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में यह व्यंग्य निहित है कि उद्धव वास्तव में भाग्यवान न होकर अति भाग्यहीन हैं। वे श्री कृष्ण के सानिध्य में रहते हुए भी वे श्री कृष्ण के प्रेम से सर्वथा मुक्त रहे। श्री कृष्ण के प्रति कैसे उनके हृदय में अनुराग उत्पन्न नहीं हुआ? अर्थात् श्री कृष्ण के साथ कोई व्यक्ति एक क्षण भी व्यतीत कर ले तो वह कृष्णमय हो जाता है। वे प्रेम बंधन में बँधने एवं मन के प्रेम में अनुरक्त होने की सुखद अनुभूति से पूर्णतया अपरिचित हैं।
2. उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है ?
उत्तर:- गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना निम्नलिखित उदाहरणों से की हैं
1) गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना कमल के पत्ते से की हैं जो नदी के जल में रहते हुए भी जल की ऊपरी सतह पर ही रहता है। अर्थात् जल में रहते हुए भी जल का प्रभाव उस पर नहीं पड़ता। उसी प्रकार श्रीकृष्ण का सानिध्य पाकर भी उनका प्रभाव उद्धव पर नहीं पड़ा।
2) उद्धव जल के मध्य रखे तेल के गागर (मटके) की भाँति हैं, जिस पर जल की एक बूँद भी टिक नहीं पाती। इसलिए उद्धव श्रीकृष्ण के समीप रहते हुए भी उनके रूप के आकर्षण तथा प्रेम-बंधन से सर्वथा मुक्त हैं।
3) उद्धव ने गोपियों को जो योग का उपदेश दिया था, उसके बारे में उनका यह कहना है कि यह योग सुनते ही कड़वी ककड़ी के सामान प्रतीत होता है। इसे निगला नहीं जा सकता। यह अत्यंत अरूचिकर है।
3. गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं ?
उत्तर:- गोपियों ने कमल के पत्ते, तेल की मटकी और प्रेम की नदी के उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं। प्रेम रुपी नदी में पाँव डूबाकर भी उद्धव प्रभाव रहित हैं। वे श्री कृष्ण के सानिध्य में रहते हुए भी वे श्री कृष्ण के प्रेम से सर्वथा मुक्त रहे।
4. उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया ?
उत्तर:- गोपियाँ कृष्ण के आगमन की आशा में दिन गिनती जा रही थीं। वे अपने तन-मन की व्यथा को चुपचाप सहती हुई कृष्ण के प्रेम रस में डूबी हुई थीं। वे इसी इंतजार में बैठी थीं कि श्री कृष्ण उनके विरह को समझेंगे, उनके प्रेम को समझेंगे और उनके अतृप्त मन को अपने दर्शन से तृप्त करेंगे। परन्तु यहाँ सब उल्टा होता है। कृष्ण को न तो उनकी पीड़ा का ज्ञान है और न ही उनके विरह के दुःख का। कृष्ण ने योग का संदेश देने के लिए उद्धव को भेज दिया। विरह की अग्नि में जलती हुई गोपियों को जब उद्धव ने कृष्ण को भूल जाने और योग-साधना करने का उपदेश देना प्रारम्भ किया, तब उनके हृदय में जल रही विरहाग्नि में घी का काम कर उसे और प्रज्वलित कर दिया।
5. ‘मरजादा न लही’ के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है ?
उत्तर:- ‘मरजादा न लही’ के माध्यम से प्रेम की मर्यादा न रहने की बात की जा रही है। कृष्ण के मथुरा चले जाने पर वह शांत भाव से श्री कृष्ण के लौटने की प्रतीक्षा कर रही थीं। वह चुप्पी लगाए अपनी मर्यादाओं में लिपटी हुई इस वियोग को सहन कर रही थीं क्योंकि वे श्री कृष्ण से प्रेम करती हैं। कृष्ण ने योग का संदेश देने के लिए उद्धव को भेज दिया। गोपियों उनको उनकी मर्यादा छोड़कर बोलने पर मजबूर कर दिया है। प्रेम के बदले प्रेम का प्रतिदान ही प्रेम की मर्यादा है, लेकिन कृष्ण ने गोपियों के प्रेम रस के उत्तर में योग का संदेश भेज दिया। इस प्रकार कृष्ण ने प्रेम की मर्यादा नहीं रखी। वापस लौटने का वचन देकर भी वे गोपियों से मिलने नहीं आए।
6. कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है ?
उत्तर:- गोपियाँ श्री कृष्ण के प्रेम में रात-दिन, सोते-जागते सिर्फ़ श्री कृष्ण का नाम ही रटती रहती है। कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने चींटियों और हारिल की लकड़ी के उदाहरणों द्वारा व्यक्त किया है। उन्होंने स्वयं की तुलना चींटियों से और श्री कृष्ण की तुलना गुड़ से की है। उनके अनुसार श्री कृष्ण उस गुड़ की भाँति हैं जिस पर चींटियाँ चिपकी रहती हैं। हारिल एक ऐसा पक्षी है जो सदैव अपने पंजे में कोई लकड़ी या तिनका पकड़े रहता है। वह उसे किसी भी दशा में नहीं छोड़ता। उसी तरह गोपियों ने मन, वचन और कर्म से श्री कृष्ण की प्रेम रुपी लकड़ी को दृढ़तापूर्वक पकड़ लिया है।
7. गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है ?
उत्तर:- उद्धव अपने योग के संदेश में मन की एकाग्रता का उपदेश देतें हैं। गोपियों के अनुसार योग की शिक्षा उन्हीं लोगों को देनी चाहिए जिनकी इन्द्रियाँ व मन उनके बस में नहीं होते। जिनका मन चंचल है और इधर-उधर भटकता है। परन्तु गोपियों को योग की आवश्यकता है ही नहीं क्योंकि गोपियाँ अपने मन व इन्द्रियाँ तो कृष्ण के अनन्य प्रेम में पहले से ही एकाग्र है। इस प्रकार योग-साधना का उपदेश उनके लिए निरर्थक है।
8. प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।
उत्तर:- प्रस्तुत पदों के आधार पर स्पष्ट है कि गोपियाँ योग-साधना को नीरस, व्यर्थ और अवांछित मानती हैं। गोपियों के दृष्टि में योग उस कड़वी ककड़ी के सामान है जिसे निगलना बड़ा ही मुश्किल है। सूरदास जी गोपियों के माध्यम से आगे कहते हैं कि उनके विचार में योग एक ऐसा रोग है जिसे उन्होंने न पहले कभी देखा, न कभी सुना। गोपियों के अनुसार योग की शिक्षा उन्हीं लोगों को देनी चाहिए जिनकी इन्द्रियाँ व मन उनके बस में नहीं होते। जिनका मन चंचल है और इधर-उधर भटकता है। परन्तु गोपियों को योग की आवश्यकता है ही नहीं क्योंकि गोपियाँ अपने मन व इन्द्रियाँ तो कृष्ण के अनन्य प्रेम में पहले से ही एकाग्र है।
9. गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए ?
उत्तर:- गोपियों के अनुसार राजा का धर्म उसकी प्रजा को अन्याय से बचाना तथा नीति से राजधर्म का पालन करना होना चाहिए।
10. गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं ?
उत्तर:- गोपियों को लगता है कि कृष्ण द्वारका जाकर राजनीति के विद्वान हो गए हैं। उनके अनुसार श्री कृष्ण पहले से ही चतुर थे अब तो ग्रंथो को पढ़कर उनकी बुद्धि पहले से भी अधिक चतुर हो गयी है। अब कृष्ण राजा बनकर चाले चलने चलने लगे हैं। छल-कपट उनके स्वभाव के अंग बन गया है। उन्होंने गोपियों से मिलने के स्थान पर योग की शिक्षा देने के लिए उद्धव को भेज दिया है। श्रीकृष्ण के इस कदम से गोपियों के बहुत हृदय आहत हुआ है। इन्ही परिवर्तनों को देखकर गोपियाँ अपनों को श्रीकृष्ण के अनुराग से वापस लेना चाहती है।
11. गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए ?
उत्तर:- गोपियाँ वाक्चतुर हैं। वे बात बनाने में किसी को भी परास्त कर दें। गोपियाँ उद्धव को अपने उपालंभ (तानों) के द्वारा चुप करा देती हैं। गोपियों में व्यंग्य करने की अद्भुत क्षमता है। वह अपने व्यंग्य बाणों द्वारा उद्धव को घायल कर देती हैं। वह अपनी तर्क क्षमता से बात-बात पर उद्धव को निरुत्तर कर देती हैं।
12. संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ बताइए ?
उत्तर:- भ्रमरगीत की निम्नलिखित विशेषताएँ इस प्रकार हैं –
1. ‘भ्रमरगीत’ एक भाव-प्रधान गीतिकाव्य है।
2. इसमें उदात्त भावनाओं का मनोवैज्ञानिक चित्रण हुआ है।
3. सूरदास ने अपने भ्रमर गीत में निर्गुण ब्रह्म का खंडन किया है।
4. ‘भ्रमरगीत’ में शुद्ध साहित्यिक ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है।
5. भ्रमरगीत में उपालंभ की प्रधानता है।
6.‘भ्रमरगीत’ में सूरदास ने विरह के समस्त भावों की स्वाभाविक एवं मार्मिक व्यंजना की हैं।
7. भ्रमरगीत में उद्धव व गोपियों के माध्यम से ज्ञान को प्रेम के आगे नतमस्तक होते हुए बताया गया है, ज्ञान के स्थान पर प्रेम को सर्वोपरि कहा गया है।
8. सूरदास कवि होने के साथ-साथ सुप्रसिद्ध गायक भी थे। भ्रमरगीत में संगीतात्मकता का गुण विद्यमान है।
1. गोपियों ने उद्धव के सामने तरह–तरह के तर्क दिए हैं, आप अपनी कल्पना से और तर्क दीजिए।
उत्तर:- गोपियों ने उद्धव के सामने तरह-तरह के तर्क दिए हैं। हम भी निम्नलिखित तर्क दे सकते हैं –
1. उद्धव पर कृष्ण का प्रभाव तो पड़ा नहीं परन्तु लगता है कृष्ण पर उद्धव के योग साधना का प्रभाव अवश्य पड़ गया है।
2. निर्गुण अर्थात् जिस ब्रह्म के पास गुण नहीं है उसकी उपासना हम नहीं कर सकते हैं।
3. योग का मार्ग कठिन है और हम गोपियाँ कोमल हैं। हमसे यह कठोर योग साधना कैसे हो पाएगी। यह असम्भव है।
2. उद्धव ज्ञानी थे, नीति की बातें जानते थे ; गोपियों के पास ऐसी कौन–सी शक्ति थी जो उनके वाक्चातुर्य में मुखिरत हो उठी ?
उत्तर:- सच्चे प्रेम में इतनी शक्ति होती है कि बड़े-से-बड़ा ज्ञानी भी उसके आगे घुटने टेक देता है। गोपियों के पास श्री कृष्ण के प्रति सच्चे प्रेम तथा भक्ति की शक्ति थी जिस कारण उन्होंने उद्धव जैसे ज्ञानी तथा नीतिज्ञ को भी अपने वाक्चातुर्य से परास्त कर दिया।
3. गोपियों ने यह क्यों कहा कि हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं? क्या आपको गोपियों के इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति में नज़र आता है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- गोपियों को लगता है कि कृष्ण द्वारका जाकर राजनीतिके विद्वान हो गए हैं। अब कृष्ण राजा बनकर चाले चलने लगे हैं। छल-कपट उनके स्वभाव के अंग बन गया है। गोपियों ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि श्री कृष्ण ने सीधी सरल बातें ना करके रहस्यातमक ढंग से उद्धव के माध्यम से अपनी बात गोपियों तक पहुँचाई है। गोपियों का यह कथन कि हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं। कहीं न कहीं आज की भ्रष्ट राजनीति को परिभाषित कर रहा है। आज की राजनीति तो सिर से पैर तक छल-कपट से भरी हुई हैं। कृष्ण ने गोपियों को मिलने का वादा किया था और पूरा नहीं किया वैसे ही आज राजनीति में लोग कई वादे कर के भूल जाते हैं।
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