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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Yah Danturit Muskan Question Answer

NCERT Solutions for Class 10 Hindi क्षितिज Chapter 5 (नागार्जुन) provide सरल और स्पष्ट answers to help students understand the poems’ भाव, मुख्य विचार, और अर्थ. These solutions make revision आसान and improve exam preparation with well-explained Q&A.
NCERT Solutions for Class-10 Hindi Kshitij chapter 5

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij chapter 5: NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 5 by Nagarjuna feature his poems Yah Danturit Muskan and fasal.

The first poem beautifully shows a child’s निष्कपट मुस्कान as a symbol of hope that melts even the कठोर hearts. The second poem highlights essentials like जल, मिट्टी, सूर्य, हवा, and hard work needed for crops to grow. These solutions explain the भावार्थ and Q&A in a simple way for आसान exam preparation.

NCERT Class 10 Yah Danturit Muskan Question Answer

The NCERT Solutions hindi chapter 5 Yah Danturit Muskan question answer and Fasal class 10 question answer sections help students understand the chapters through clear, simple explanations.

These answers break down difficult lines, themes, and messages so learners can study effectively. With well-structured solutions, students can revise quickly and score better in the Class 10 Hindi exam

यह दंतुरित मुस्कान

1. बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

उत्तर:- दंतुरित का अर्थ है – बच्चे में पहली बार दाँत निकलना। बच्चों की दंतुरित मुसकान बड़ी मोहक होती है। बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर अत्यंत गहरा प्रभाव पड़ता है। बाँस और बबूल जैसी कठोर प्रकृति वाले कवि को लगा कि उसके आस-पास शेफ़ालिका के फूल झड़ने लगे हों। कवि को बच्चे की मुसकान बहुत मनमोहक लगती है जो मृत शरीर में भी प्राण डाल देती है। उस मुसकान से प्रभावित संन्यास धारण कर चुका कवि पुन: गृहस्थ-आश्रम में लौट आया।

2. बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है ?
उत्तर:- बच्चे तथा बड़े व्यक्ति की मुसकान में निम्नलिखित अंतर होते हैं –
(1) बच्चे अबोध होते हैं। बच्चों की हँसी में निश्छलता होती है लेकिन बड़ों की मुस्कुराहट कृत्रिम भी होती है।
(2) बच्चे मुस्कुराते समय किसी खास मौके की प्रतीक्षा नहीं करते हैं वे तो बस… अपनी स्वाभाविक मुसकान बिखेरना जानते हैं। बड़े व्यक्ति परिपक्व बुद्धि के होते हैं। जबकि बड़ों के मुसकुराने की खास वजह होती है।
(3) बच्चों का मुस्कुराना सभी को प्रभावित करता है परन्तु बड़ों की मुसकान वैसा आकर्षण नहीं रखती

3. कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है ?
उत्तर:- कवि नागर्जुन ने बच्चे की मुसकान के सौन्दर्य को जिन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है,वे निम्नलिखित हैं :
(1) बच्चे की मुसकान से मृतक में भी जान आ जाती है।
“मृतक में भी डाल देगा जान।”
(2) कवि ने बालक के मुसकान की तुलना कमल के पुष्प से की है। जो कि तालाब में न खिलकर कवि की झोंपड़ी में खिल रहे हैं।
“छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात।”
(3) बच्चे की मुसकान से प्रभावित होकर पाषाण (पत्थर) भी पिघलकर जल बन जाएगा।
“पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण।”
(4) कवि बच्चे की मुसकान की तुलना शेफालिका के फूल से करता है।
“झरने लग पड़े शेफालिका के फूल।”
(5) बच्चा जब तिरछी नज़रों से देख कर मुस्कराता है कवि को लगता है कि वह उनके प्रति स्नेह प्रकट करता है।
“देखते तुम इधर कनखी मार
और होतीं जब कि आँखें चार
तब तुम्हारी दतुरित मुसकान”

भाव स्पष्ट कीजिए -

छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात।
उत्तर:- प्रस्तुत काव्यांश का भाव है कि कोमल शरीर वाले बच्चे खेलते हुए बहुत आकर्षक लगते हैं। कवि ने यहाँ बच्चे की सुंदर मुसकान की तुलना कमल के फूल से की है। बच्चे की हँसी को देखकर ऐसा लगता है मानो कमल के फूल अपना स्थान परिवर्तित कर तालाब के स्थान पर इस झोंपड़ी में खिलने लगे हैं। आशय यह है कि बच्चे की हँसी को देखकर मन में बहुत उल्लास होता है।

4.2 छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल बाँस था कि बबूल ?
उत्तर:- प्रस्तुत काव्यांश का भाव है कि बच्चों के स्पर्श में ऐसा जादू होता है कि कोई भी कठोर हृदय जल के समान पिघल जाए। बच्चे के स्पर्श से बाँस तथा बबूल जैसे काँटेदार वृक्ष से भी फूल झरने लगते हैं। भावहीन और संवेदनाशून्य व्यक्तियों में भी सुख, आनंद और वात्सल्य-रस का संचार हो जाता है। उसी प्रकार बच्चे का स्पर्श पाकर कवि का भी नीरस मन प्रफुल्लित हो जाता है।

• रचना और अभिव्यक्ति

1. मुसकान और क्रोध भिन्न-भिन्न भाव हैं। इनकी उपस्थिति से बने वातावरण की भिन्नता का चित्रण कीजिए।
उत्तर:- मुसकान तथा क्रोध मानव स्वभाव के दो अलग-अलग रुप हैं, जो एक दूसरे से भिन्न हैं। इनसे वातावरण भी प्रभावित होता है –
(1) मुसकान – निश्छल तथा प्रेम पूर्ण मुसकान किसी के भी हृदय को मुग्ध कर सकता है। यह मन की प्रसन्नता का प्रतीक है। मुसकान कठोर एवम् भाव शून्य हृदय वाले को भी कोमल और भावयुक्त बना देती है। इसमें पराए को भी अपना बना लेने की अद्भुत क्षमता होती है।
(2) क्रोध – क्रोध व्यक्ति के मन में चल रहे असंतोष की भावना है। क्रोध से चेहरा भयानक, मन अशान्त और वातावरण तनावयुक्त बन जाता है। क्रोध से हृदय कठोर और संवेदनहीन हो जाता है। क्रोध में व्यक्ति के सोचने समझने की शक्ति खत्म हो जाती है।

2. दंतुरित मुसकान से बच्चे की उम्र का अनुमान लगाइए और तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:- बच्चों के दाँत मुख्यत: 9 महीने से लेकर एक साल में आने लगते हैं। कई बार इससे कम या अधिक समय भी लग जाया करता है, परन्तु यहाँ माँ उँगलियों से मधुपर्क करा रही है। अत: बच्चे बच्चे की आयु लगभग 1 वर्ष की लगती है। बच्चा अपनी निश्छल दंतुरित मुसकान से सबका मन मोह लेता है।

3. बच्चे से कवि की मुलाकात का जो शब्द – चित्र उपस्थित हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:- कवि और वह बच्चा दोनों एक-दूसरे के लिए सर्वथा अपरिचित थे इसी कारण बच्चा उसे एकटक देखता रहता है। बच्चे ने कवि की उंगलियाँ पकड़ रखी थी और अपलक कवि को निहार रहा था। बच्चा कहीं देखते-देखते थक न जाए, ऐसा सोचकर कवि अपनी आँखें फेर लेता है। किन्तु बच्चा उसे तिरछी नज़रों से देखता है, जब दोनों की आँखें मिलती हैं तो बच्चा मुसका देता है। बच्चे की मुसकान कवि के हृदय को अच्छी लगती है। उसकी मुसकान को देखकर कवि का निराश मन खुश हो जाता है। उसे ऐसा लगता है जैसे कमल के फूल तालाब को छोड़कर उसके झोंपड़ें में खिल उठे हैं। उस मुसकान से प्रभावित संन्यास धारण कर चुका कवि पुन: गृहस्थ-आश्रम में लौट आया।

फसल



1. कवि के अनुसार फसल क्या है?
उत्तर:- कवि के अनुसार फसलें पानी, मिट्टी, धूप, हवा और मानव श्रम के मेल से बनी हैं। अर्थात् फसल किसी एक की मेहनत का फल नहीं बल्कि इसमें सभी का योगदान सम्मिलित है।

2. कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर:- प्रस्तुत कविता में कवि ने फसल उपजाने के लिए मानव परिश्रम, पानी, मिट्टी, सूरज की किरणों तथा हवा जैसे तत्वों को आवश्यक कहा है।

3. फसल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है?
उत्तर:- फसल के लिए भले ही पानी, मिट्टी, सूरज की किरणें तथा हवा जैसे तत्वों की आवश्यकता है। परन्तु किसानों के परिश्रम के बिना ये सभी साधन व्यर्थ हैं। यदि किसान अपने परिश्रम के द्वारा इसे भली प्रकार से नहीं सींचे तब तक इन सब साधनों की सफलता नहीं होगी। अत: यह किसान के श्रम की गरिमा ही है जिसके कारण फसलें इतनी अधिक बढ़ती चली जाती हैं।

भाव स्पष्ट कीजिए -

4. रूपांतर है सूरज की किरणों का

सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!
उत्तर:- प्रस्तुत पंक्तियों का तात्पर्य यह है कि फसल के लिए सूरज की किरणें तथा हवा दोनों का प्रमुख योगदान है। वातावरण के ये दोनों अवयव ही फसल के योगदान में अपनी-अपनी भूमिका अदा करते हैं। फसलों की हरियाली सूरज की किरणों के प्रभाव के कारण आती है। फसलों को बढ़ाने में हवा की थिरकन का भी योगदान रहता है।

• रचना और अभिव्यक्ति

5.1 कवि ने फसल को हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है -
मिट्टी के गुण-धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे?

उत्तर:- मिट्टी के गुण-धर्म का आशय है- मिट्टी में मिले हुए प्राकृतिक तत्व, खनिज पदार्थ और पोषक तत्व जिनके मेल से किसी मिट्टी का स्वरूप अन्य मिट्टियों से विशेष हो जाता है। किसी भी फसल की उपज मिट्टी के उपजाऊ होने पर निर्भर करती है।

5.2 कवि ने फसल को हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है -
वर्तमान जीवन शैली मिट्टी के गुण-धर्म को किस-किस तरह प्रभावित करती है?

उत्तर:- वर्तमान जीवन-शैली प्रदूषण उत्पन्न करती है। प्रदूषण मिट्टी के गुण-धर्म को प्रभावित करता है। नए-नए खाद्यों के उपयोग से, प्लास्टिक के ज़मीन में रहने से, प्रदूषण से मिट्टी की उर्वरा शक्ति धीरे-धीरे नष्ट होती जा रही है और मिट्टी का मूल स्वभाव बदलकर विकृत हो जाता है। इसका बुरा प्रभाव फसल की उपज पर पड़ रहा है।

5.3 कवि ने फसल को हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है -
मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है?

उत्तर:- मिट्टी अपना गुण-धर्म छोड़ दे तो जीवन का स्वरूप विकृत हो जाएगा। अगर फसलों का उत्पाद नहीं होगा तो मनुष्य क्या खाकर रहेगा। अत: मिट्टी का उपजाऊ होना मानव जीवन के अस्तित्व के लिए आवश्यक तत्व है।

5.4 कवि ने फसल को हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है -
मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है?

उत्तर:- मनुष्य का यह कर्त्तव्य है कि वह मिट्टी के गुण-धर्म को नष्ट होने से बचाए। हम स्वयं जागकर दूसरों में भी जागरूकता ला सकते हैं। मिट्टी के गुण-धर्म को बचाए रखने के लिए हमें मिट्टी को प्रदूषित होने से बचाना चाहिए, प्लास्टिक की थैलियों का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए तथा पानी का सही उपयोग करना चाहिए।

NCERT Solutions for Class 10 Kshitij Hindi chapter 5 FAQs

What effect does the child's smile have on the poet?

It removes his sadness and melts even a stone-like heart

Why does the child stare at the poet without blinking?

The poet is a stranger after long travels, so the child tries to recognize him.

What makes a crop grow according to the 'Fasal' poem?

Water, soil, sun, air, and farmers' hard work together.

How do NCERT solutions help with this chapter?

They simplify poem meanings and questions for easy exam prep
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