NCERT Solutions for class 10 Hindi Sparsh Chapter 3: Class 10 Hindi Manushyata question answers aim to help students understand, practice, and master the poem's concepts. These solutions offer clear explanations for all textbook questions.
They ensure students grasp the moral message and literary aspects of "Manushyata". This resource is crucial for comprehensive learning and covers the Class 10 syllabus and exam preparation.
The exercises are divided to cover various aspects of the poem:
कविता का भावार्थ और केंद्रीय भाव (Poem's meaning and central idea).
काव्यांश पर आधारित प्रश्न-उत्तर (Question-answers based on stanzas).
भाषा सौंदर्य एवं शिल्प संबंधी प्रश्न (Questions on literary beauty and craft).
व्याकरण संबंधी प्रश्न (Grammar-related questions).
These NCERT Solutions for Class 10 Hindi स्पर्श Chapter 3 provide detailed answers to every question. They help students understand the poem’s deep theme of मानवता, along with its literary devices. Mastering these questions is essential for scoring well in exams. The class 10 Hindi manushyata question answer also improves critical thinking and भाषा कौशल, making preparation easier and more effective.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
1. कवि ने कैसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा है?
उत्तर:- प्रत्येक मनुष्य समयानुसार अवश्य मृत्यु को प्राप्त होता है क्योंकि जीवन नश्वर है। इसलिए मृत्यु से डरना नहीं चाहिए बल्कि जीवन में ऐसे कार्य करने चाहिए जिससे उसे बाद में भी याद रखा जाए। उसकी मृत्यु व्यर्थ न जाए। जो केवल अपने लिए जीते हैं वे व्यक्ति नहीं पशु के समान हैं। जो मनुष्य सेवा, त्याग और बलिदान का जीवन जीते हैं और किसी महान कार्य की पूर्ति के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं, उनकी मृत्यु सुमृत्यु कहलाती हैं।
2. उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है?
उत्तर:- उदार व्यक्ति परोपकारी होता है। अपना पूरा जीवन पुण्य व लोकहित कार्यो में बिता देता है। किसी से भेदभाव नहीं रखता, आत्मीय भाव रखता है। कवि और लेखक भी उसके गुणों की चर्चा अपने लेखों में करते हैं। वह निज स्वार्थों का त्याग कर जीवन का मोह भी नहीं रखता। अर्थात् उदार व्यक्ति के मन, वचन, कर्म से संबंधित कार्य मानव मात्र की भलाई के लिए ही होते हैं।
3. कवि ने दधीचि कर्ण, आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर ‘मनुष्यता’ के लिए क्या संदेश दिया है?
उत्तर:- कवि दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर त्याग और बलिदान का संदेश देता है कि किस प्रकार इन लोगों ने अपनी परवाह किए बिना लोक हित के लिए कार्य किए। दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए अपनी हड्डियाँ दान दी, कर्ण ने अपना सोने का रक्षा कवच दान दे दिया, रति देव ने अपना भोजन थाल ही दे डाला, उशीनर ने कबूतर के लिए अपना माँस दिया। हमारा शरीर नश्वर है इसलिए इससे मोह को त्याग कर दूसरों के हित-चिंतन में लगा देने में ही इसकी सार्थकता है। कवि ने यही संदेश दिया है।
4. कवि ने किन पंक्तियों में यह व्यक्त किया है कि हमें गर्व-रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए?
उत्तर:- रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
अनाथ कौन है यहाँ? त्रिलोकनाथ साथ हैं,
दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ हैं।
5. ‘मनुष्य मात्र बंधु है’ से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- इस कथन का अर्थ है क संसार के सभी मनुष्य आपस में भाई-भाई हैं। इसलिए सभी को प्रेम भाव से रहना चाहिए, सहायता करनी चाहिए। कोई पराया नहीं है। सभी एक दूसरे के काम आएँ। प्रत्येक मनुष्य को निर्बल मनुष्य की पीड़ा दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
6. कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा क्यों दी है?
उत्तर:- कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा इसलिए दी है, क्योंकि एकता में बल होता है। मैत्री भाव से आपस में मिलकर रहने से सभी कार्य सफल होते हैं, ऊँच-नीच, वर्ग भेद नहीं रहता। सभी एक पिता परमेश्वर की संतान हैं। अतःसब एक हैं। इसलिए सभी को प्रेम भाव से रहना चाहिए, सहायता करनी चाहिए, एक होकर चलना चाहिए।
7. व्यक्ति को किस प्रकार का जीवन व्यतीत करना चाहिए? इस कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर:- कवि कहना चाहता है कि हमें ऐसा जीवन व्यतीत करना चाहिए जो दूसरों के काम आए। मनुष्य को अपने स्वार्थ का त्याग करके परहित के लिए जीना चाहिए। जो मनुष्य सेवा,त्याग और बलिदान का जीवन जीते हैं और किसी महान कार्य की पूर्ति के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं, उनकी मृत्यु सुमृत्यु कहलाती हैं।
8. ‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर:- प्रकृति के अन्य प्राणियों की तुलना में मनुष्य में चेतना शकित की प्रबलता होती है। ‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि मानवता, प्रेम, एकता, दया, करुणा, परोपकार, सहानुभूति,सद्भावना और उदारता से परिपूर्ण जीवन जीने का संदेश देना चाहता है। मनुष्य दूसरों के हित का ख्याल रख सकता है। इस कविता का प्रतिपाद्य यह है कि हमें मृत्यु से नहीं डरना चाहिए और परोपकार के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तप्तर रहना चाहिए। जब हम दूसरों के लिए जीते हैं तभी लोग हमें मरने के बाद भी याद रखते हैं। हमें धन-दौलत का कभी घमंड नहीं करना चाहिए। धन होने पर घमंड नहीं करना चाहिए तथा खुद आगे बढ़ने के साथ-साथ औरों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देनी चाहिए। सभी मनुष्य र्इश्वर की संतान है। अत: सभी को एक होकर चलना चाहिए और परस्पर भार्इचारे का व्यवहार करना चाहिए।
निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए –
9. सहानुभूति चाहिए, महाविभूति है यही;
वशीकृता सदैव है बनी हुई स्वयं मही।
विरुद्धवाद बुद्ध का दया-प्रवाह में बहा,
विनीत लोकवर्ग क्या न सामने झुका रहा?
उत्तर:- कवि ने एक दूसरे के प्रति सहानुभूति की भावना को उभारा है। इससे बढ़कर कोई पूँजी नहीं है क्योंकि यही गुण मनुष्य को महान, उदार और सर्वप्रिय बनाता है। प्रेम, सहानुभूति,करुणा के भाव से मनुष्य जग को जीत सकता है। महात्मा बुद्ध के विचारों का भी विरोध हुआ था परन्तु जब बुद्ध ने अपनी करुणा, प्रेम व दया का प्रवाह किया तो उनके सामने सब नतमस्तक हो गए। संत महात्मा हमेशा अपनी विनम्रता से मनुष्य जाति का उपकार करते है।जो दूसरों का उपकार करता है, वही सच्चा उदार मनुष्य है।
10. रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
अनाथ कौन है यहाँ? त्रिलोकनाथ साथ हैं,
दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ हैं।
उत्तर:- इन पंक्तियों का भाव है कि मनुष्य को कभी भी धन पर घमंड नहीं करना चाहिए। कुछ लोग धन प्राप्त होने पर इतराने लगते है। स्वयं को सुरक्षित व सनाथ समझने लगते हैं परन्तु उन्हें सदा सोचना चाहिए कि इस दुनिया में कोई अनाथ नहीं है। सभी पर ईश्वर की कृपा दृष्टि है। ईश्वर सभी को समान भाव से देखता है और सभी की सहायता करता हैं। हमें उस पर भरोसा रखना चाहिए।
11. चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए,
विपत्ति, विघ्न जो पड़ें उन्हें ढकेलते हुए।
घटे न हेलमेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी,
अतर्क एक पंथ के सतर्क पंथ हों सभी।
उत्तर:- इन पंक्तियों का अर्थ है कि मनुष्य को अपने निर्धारित लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए। बाधाओं, कठिनाइयों को हँसते हुए, ढकेलते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए। लेकिन आपसी मेलजोल कम नहीं करना चाहिए। किसी को अलग न समझें, सभी पंथ व संप्रदाय मिलकर सभी का हित करने की बात करे, बिना किसी तर्क के सतर्क होकर इस मार्ग पर चलना चाहिए। विश्व एकता के विचार को बनाए रखना चाहिए।
मैथिली शरण गुप्त – संक्षिप्त सारांश
मैथिली शरण गुप्त (1886–1964) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख कवि थे और उन्हें Rashtrakavi का सम्मान मिला। उनका जन्म झाँसी के चिरगाँव में हुआ। उनकी रचनाओं में patriotism, duty, moral values और Indian culture की गहरी छाप दिखाई देती है। गुप्त जी की भाषा Khadi Boli, संस्कृतनिष्ठ शब्दावली और simple expression के लिए जानी जाती है। उनके काव्य की मुख्य विशेषताएँ lofty emotions, उत्कृष्ट character depiction और सांस्कृतिक जागरण हैं। उन्होंने अपने writings के माध्यम से राष्ट्र में national awareness और नैतिक शक्ति को मजबूत करने का प्रयास किया।
Chapter Summary
Manushyata Class 10 Summary highlights the importance of humanity, compassion (दयालुता), and selfless service (निःस्वार्थ सेवा). It explains that true human growth happens when a person rises above selfish motives and works for the well-being of others. The lesson inspires readers to develop qualities like empathy, sahyog (सहयोग), and moral strength, making life more meaningful and value-driven.
| Class 10 Hindi Sparsh Chapters |
| NCERT Solutions for Cass 10 Hindi Sparsh Chapter 1 |
| NCERT Solutions for Cass 10 Hindi Sparsh Chapter 2 |
| NCERT Solutions for Cass 10 Hindi Sparsh Chapter 3 |
| NCERT Solutions for Cass 10 Hindi Sparsh Chapter 4 |
| NCERT Solutions for Cass 10 Hindi Sparsh Chapter 5 |
| NCERT Solutions for Cass 10 Hindi Sparsh Chapter 6 |
| NCERT Solutions for Cass 10 Hindi Sparsh Chapter 7 |
| NCERT Solutions for Cass 10 Hindi Sparsh Chapter 8 |
| NCERT Solutions for Cass 10 Hindi Sparsh Chapter 9 |
| NCERT Solutions for Cass 10 Hindi Sparsh Chapter 10 |
| NCERT Solutions for Cass 10 Hindi Sparsh Chapter 11 |
| NCERT Solutions for Cass 10 Hindi Sparsh Chapter 12 |
| NCERT Solutions for Cass 10 Hindi Sparsh Chapter 13 |
| NCERT Solutions for Cass 10 Hindi Sparsh Chapter 14 |