Chapter 15–Harivansh Rai Bachchan

NCERT Solutions for Class-9 Hindi (Sparsh)

chapter 15 Harivansh Rai Bachchan

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
1. कवि ने ‘अग्नि पथ’ किसके प्रतीक स्वरुप प्रयोग किया है?

उत्तर:- कवि ने ‘अग्नि पथ’ को संघर्षमय जीवन के प्रतीक स्वरुप प्रयोग किया है। कवि का मानना है कि मनुष्य का जीवन संघर्षों तथा कठिनाईयों से भरा है। उसे कदम-कदम पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

2. ‘माँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर:- ‘माँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि यही कहना चाहता है कि मनुष्य को अपनी लक्ष्य प्राप्ति के लिए किसी भी प्रकार की अनपेक्षित चुनौतियों के लिए तैयार रहना चाहिए। उसे इस मार्ग में बिना किसी सहारे, सुखों की अभिलाषा और हर परिस्थिति का सामना करते हुए अपने लक्ष्य पर ही ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।

3. ‘एक पत्र-छाह भी माँग मत’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- ‘एक पत्र छाह भी माँग मत’ − पंक्ति का आशय है कि मनुष्य अपनी प्रकृति के अनुसार माँगने लगता है और अपनी परिस्थितियों से घबराकर दूसरों की सहायता माँगने लगता है। इससे उसका आत्मविश्वास कम होने लगता है। इसलिए अपनी कठिनाइयों का सामना स्वयं ही करना चाहिए। यदि थोड़ा भी आश्रय मिल जाए तो उसकी अवहेलना न करके धन्य मानना चाहिए।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए।
4. तू न थमेगा कभी
तू न मुड़ेगा कभी

उत्तर:- भाव – प्रस्तुत पंक्ति का भाव यह है कि कष्टों से भरे इस मार्ग में रुकना और थमना नहीं है। मनुष्य को केवल अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित कर आने वाली चुनौतियों से न घबराकर आगे बढ़ते रहना चाहिए।

5. चल रहा मनुष्य है
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ

उत्तर:- भाव – प्रस्तुत पंक्ति का भाव यह है कि संघर्षमय मार्ग में सबसे सुन्दर दृश्य यही हो सकता है कि मनुष्य अपना पसीना बहाते हुए उस मार्ग पर बढ़े चला जा रहा है। शरीर से पसीना बहाते हुए और खून से लथपथ होते हुए भी मनुष्य निरंतर अपने मार्ग में आगे बढ़ते जा रहा है क्योंकि ऐसा ही मनुष्य सफलता प्राप्त करता है।

6. इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- ‘अग्नि पथ’ कविता कवि ‘हरिवंशराय’ द्वारा रचित एक प्रेरणादायक कविता है। इस कविता के द्वारा कवि मनुष्य को संघर्षमय जीवन में हिम्मत न हारने की प्रेरणा दे रहा है। कवि जीवन को अग्नि से भरा हुआ मानता है। इस जीवन में संघर्ष ही संघर्ष है परन्तु मनुष्य को चाहिए कि वह इससे न घबराए, न ही अपना मुँह मोड़े और बिना किसी सहारे की अपेक्षाकर मार्ग में आगे
 

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