Chapter 13–Siyaramsharan Gupt

NCERT Solutions for Class-9 Hindi (Sparsh)

Find below NCERT solutions of chapter 13 Siyaramsharan Gupt, Hindi created by experts of Physics Wallah. You can download solution of all chapters from Physics Wallah NCERT solutions for class 9 Hindi.


निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
1. कविता की उन पंक्तियों को लिखिए, जिनसे निम्नलिखित अर्थ का बोध होता है –
1.1 सुखिया के बाहर जाने पर पिता का हृदय काँप उठता था।


उत्तर:- नहीं खेलना रुकता उसका
नहीं ठहरती वह पल-भर।
मेरा ह्रदय काँप उठता था,
बाहर गई निहार उसे;

1.2 पर्वत की चोटी पर स्थित मंदिर की अनुपम शोभा।

उत्तर:- ऊँचे शैल शिखर के ऊपर
मंदिर था विस्तीर्ण विशाल;
स्वर्ण-कलश सरसिज विहसित थे
पाकर समुदित रवि-कर-जाल।

1.3 पुजारी से प्रसाद/फूल पाने पर सुखिया के पिता की मन:स्थिति।

उत्तर:- भूल गया उसका झट,
परम लाभ-सा पाकर मैं।
सोचा,-बेटी को माँ के ये
पुण्य-पुष्प दूँ जाकर मैं।

1.4 पिता की वेदना और पश्चाताप।

उत्तर:- बुझ पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी, हाय ! फूल-सी कोमल बच्ची
हुई राख की ढेरी !
अंतिम बार गोद में बेटी,
तुझको न ले सका मैं हा !
एक फूल माँ का प्रसाद भी
तुझको दे न सका मैं हा !

2.1 बीमार बच्ची ने क्या इच्छा प्रकट की?

उत्तर:- बीमार बच्ची जो कि तेज ज्वर से ग्रसित थी। उसने अपने पिता के सामने देवी के चरणों का फूल-रूपी प्रसाद पाने की इच्छा प्रकट की। इस इच्छा का कारण संभवत यह था कि उसे लगा कि देवी का प्रसाद पाकर वह ठीक हो जाएगी।

2.2 सुखिया के पिता पर कौन-सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया?

उत्तर:- सुखिया के पिता पर मंदिर की चिरकालिक शुचिता को कलुषित करने तथा देवी का अपमान करने का आरोप लगाया गया और इस आरोप के अंतर्गत सुखिया के पिता को न्यायालय ले जाया गया और वहाँ न्यायधीश द्वारा सात दिनों के कारावास की सजा सुनाई गई।

2.3 जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने अपनी बच्ची को किस रूप में पाया?

उत्तर:- जेल से छूटने के बाद वह अपने घर जाता है परन्तु तब तक उसकी बेटी सुखिया की मृत्यु हो चुकी होती है। उसके रिश्तेदारों ने उसका दाह-संस्कार भी कर दिया होता है। वह भागकर श्मशान घाट जाता है जहाँ उसे उसकी बेटी राख की ढेरी के रूप में मिलती है।

2.4 इस कविता का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर:- इस कविता द्वारा हमारे समाज में फैली छुआछूत की समस्या की ओर ध्यान दिलाने का प्रयास किया गया है। उच्च कुल के लोग निम्न जाति के लोगों को छूना भी पाप समझते हैं। जबकि सारे इंसानों को एक ही ईश्वर ने बनाया है। कविता में सुखिया के पिता निम्न जाति के होने के कारण उसे अपनी मरणासन्न पुत्री की इच्छा से वंचित कर दिया जाता है जो कि सरासर गलत है। अत: इस कविता के द्वारा कवि हमें इस प्रकार की सामाजिक बुराई को दूर करने की ओर संकेत करते हैं।

2.5 इस कविता में से कुछ भाषिक प्रतीकों/बिम्बों को छाँटकर लिखिए – उदाहारण – अंधकार की छाया

उत्तर:- 1. हाय! फूल-सी कोमल बच्ची
2. हुई राख की थी ढेरी !
3. स्वर्ण घनों में कब रवि डूबा
4. कितना बड़ा तिमिर आया
5. झुलसी-जाती थी आँखें

3 निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौंदर्य बताइए –
1. अविश्रांत बरसा करके भी
आँखें तनिक नहीं रीतीं


उत्तर:- आशय – इन पंक्तियों का आशय यह है कि सुखिया के पिता की आँखों से सात दिनों तक आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।
अर्थ सौंदर्य – इन पंक्तियों में लगातार रोने की दशा का वर्णन है। बादल भी बरसकर एक समय बाद रीते हो जाते हैं परन्तु यहाँ पर एक व्यथित पिता के आँसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं।

2. बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी पर


उत्तर:- आशय – इन पंक्तियों का आशय यह है कि बेटी की चिता तो जल कर बुझ गई पर उस चिता को देखकर पिता की वेदना चिता जलने लगी।
अर्थ सौंदर्य – इन पक्तियों में अर्थ की सुन्दरता यह है कि एक चिता का बुझना और दूसरी चिता का व्यथा के रूप में पिता के मन में जलना है।

3. हाय ! वही चुपचाप पड़ी थी
अटल शांति-सी धारण कर


उत्तर:- आशय – इन पंक्तियों का आशय यह है कि सुखिया जब ज्वर से पीड़ित हुई तो वह शांति से लेट गई।
अर्थ-सौंदर्य – यहाँ पर अर्थ की सुंदरता यह है कि चंचल बालिका जो एक क्षण भी चुपचाप बैठती नहीं थी आज चुपचाप अटल शांति को धारण कर चूकी थी।

4. पापी ने मंदिर में घुसकर
किया अनर्थ बड़ा भारी


उत्तर:- आशय – इन पंक्तियों का आशय यह है कि यहाँ पर लोगों ने मंदिर में घुसने के कारण सुखिया के पिता का बड़ा भारी अपमान किया। लोगों ने उसके इस प्रयास को भारी अनर्थ करार दे दिया।
अर्थ-सौंदर्य – इन पंक्तियों का अर्थ सौंदर्य यह है कि जिसने कोई पाप नहीं किया उसे भी पापी बना दिया और उसके छोटे से कृत्य को भी अनर्थ का नाम दे दिया।

 

Talk to Our counsellor